सीआरपीसी की धारा 424 | कारावास के दंडादेश के निष्पादन का निलंबन | CrPC Section- 424 in hindi| Suspension of execution of sentence of imprisonment.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 424 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 424 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 424 का विवरण

दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 424 के अन्तर्गत किसी मामले मे अपराधी को केवल जुर्माने का और जुर्माना देने में व्यतिक्रम होने पर कारावास का दंडादेश दिया गया है और जुर्माना तत्काल नहीं दिया जाता है तब न्यायालय आदेश दे सकता है कि जुर्माना या तो ऐसी तारीख को या उससे पहले, जो आदेश की तारीख से तीस दिन से अधिक बाद की न होगी, पूर्णतः संदेय होगा, या दो या तीन किस्तों में संदेय होगा जिनमें से पहली किस्त ऐसी तारीख को या उससे पहले संदेय होगी, जो आदेश की तारीख से तीस दिन से अधिक बाद की न होगी और अन्य किस्त या किस्तें, यथास्थिति, तीस दिन से अधिक के अन्तराल या अन्तरालों पर संदेय होगी या होंगी अथवा कारावास के दंडादेश का निष्पादन निलम्बित कर सकता है और अपराधी द्वारा प्रतिभुओं सहित या रहित, जैसा न्यायालय ठीक समझे, इस शर्त का बन्धपत्र निष्पादित किए जाने पर कि, यथास्थिति, जुर्माना या उसकी किस्तें देने की तारीख या तारीखों को वह न्यायालय के समक्ष हाजिर होगा, अपराधी को छोड़ सकता है, और यदि, यथास्थिति, जुर्माने की या किसी किस्त की रकम उस अंतिम तारीख को या उसके पूर्व जिसको वह आदेश के अधीन संदेय हो, प्राप्त न हो तो न्यायालय कारावास के दंडादेश के तुरंत निष्पादित किए जाने का निदेश दे सकता है।

सीआरपीसी की धारा 424 के अनुसार

कारावास के दंडादेश के निष्पादन का निलंबन-

(1) जब अपराधी को केवल जुर्माने का और जुर्माना देने में व्यतिक्रम होने पर कारावास का दंडादेश दिया गया है और जुर्माना तत्काल नहीं दिया जाता है तब न्यायालय-
(क) आदेश दे सकता है कि जुर्माना या तो ऐसी तारीख को या उससे पहले, जो आदेश की तारीख से तीस दिन से अधिक बाद की न होगी, पूर्णतः संदेय होगा, या दो या तीन किस्तों में संदेय होगा जिनमें से पहली किस्त ऐसी तारीख को या उससे पहले संदेय होगी, जो आदेश की तारीख से तीस दिन से अधिक बाद की न होगी और अन्य किस्त या किस्तें, यथास्थिति, तीस दिन से अधिक के अन्तराल या अन्तरालों पर संदेय होगी या होंगी ;
(ख) कारावास के दंडादेश का निष्पादन निलम्बित कर सकता है और अपराधी द्वारा प्रतिभुओं सहित या रहित, जैसा न्यायालय ठीक समझे, इस शर्त का बन्धपत्र निष्पादित किए जाने पर कि, यथास्थिति, जुर्माना या उसकी किस्तें देने की तारीख या तारीखों को वह न्यायालय के समक्ष हाजिर होगा, अपराधी को छोड़ सकता है, और यदि, यथास्थिति, जुर्माने की या किसी किस्त की रकम उस अंतिम तारीख को या उसके पूर्व जिसको वह आदेश के अधीन संदेय हो, प्राप्त न हो तो न्यायालय कारावास के दंडादेश के तुरंत निष्पादित किए जाने का निदेश दे सकता है।
(2) उपधारा (1) के उपबन्ध किसी ऐसे मामले में भी लागू होंगे जिसमें ऐसे धन के संदाय के लिए आदेश किया गया है जिसके वसूल न होने पर कारावास अधिनिर्णीत किया जा सकता है और धन तुरंत नहीं दिया गया है, और यदि वह व्यक्ति जिसके विरुद्ध आदेश दिया गया है उस उपधारा में निर्दिष्ट बन्धपत्र लिखने की अपेक्षा किए जाने पर ऐसा करने में असफल रहता है तो न्यायालय कारावास का दंडादेश तुरंत पारित कर सकता है।

Suspension of execution of sentence of imprisonment-
(1) When an offender has been sentenced to fine only and to imprisonment in default of payment of the fine, and the fine is not paid forthwith, the Court may-
(a) order that the fine shall be payable either in full on or before a date not more than thirty days from the date of the order, or in two or three instalments, of which the first shall be payable on or before a date not more than thirty days from the date of the order and the other or others at an interval or at intervals, as the case may be, of not more than thirty days;
(b) suspend the execution of the sentence of imprisonment and release the offender, on the execution by the offender of a bond, with or without sureties, as the Court thinks fit, conditioned for his appearance before the Court on the date or dates on or before which payment of the fine or the instalments thereof, as the case may be, is to be made; and if the amount of the fine or of any instalment, as the case may be, is not realised on or before the latest date on which it is payable under the order, the Court may direct the sentence of imprisonment to be carried into execution at once.
(2) The provisions of sub-section (1) shall be applicable also in any case in which an order for the payment of money has been made on non-recovery of which imprisonment may be awarded and the money is not paid forthwith; and, if the person against whom the order has been made, on being required to enter into a bond such as is referred to in that sub-section, fails to do so, the Court may at once pass sentence of imprisonment.

हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 424 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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