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सीआरपीसी की धारा 478 | कुछ दशाओं में कार्यपालक मजिस्ट्रेटों को सौंपे गये कृत्यों को परिवर्तित करने की शक्ति | CrPC Section- 478 in hindi| Power to alter functions allocated to Executive Magistrates in certain cases.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 478 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 478 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 478 का विवरण

दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 478 के अन्तर्गत यदि किसी राज्य का विधान मण्डल संकल्प द्वारा ऐसी अनुज्ञा देता है तो राज्य सरकार, उच्च न्यायालय से परामर्श करने के पश्चात्, अधिसूचना द्वारा यह निदेश दे सकेगी कि धारा 108, 109, 110, 145 और 147 में किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट के प्रति निर्देश का अर्थ यह लगाया जाएगा कि वह किसी प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट के प्रति निर्देश है।

सीआरपीसी की धारा 478 के अनुसार

कुछ दशाओं में कार्यपालक मजिस्ट्रेटों को सौंपे गये कृत्यों को परिवर्तित करने की शक्ति–

यदि किसी राज्य का विधान मण्डल संकल्प द्वारा ऐसी अनुज्ञा देता है तो राज्य सरकार, उच्च न्यायालय से परामर्श करने के पश्चात्, अधिसूचना द्वारा यह निदेश दे सकेगी कि धारा 108, 109, 110, 145 और 147 में किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट के प्रति निर्देश का अर्थ यह लगाया जाएगा कि वह किसी प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट के प्रति निर्देश है।

Power to alter functions allocated to Executive Magistrates in certain cases-
If the Legislative Assembly of a State by a resolution so permits, the State Government may, after consultation with the High Court, by notification, direct that references in Sections 108, 109, 110, 145 and 147 to an Executive Magistrate shall be construed as references to a Judicial Magistrate of the First class.

हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 478 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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