भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 172 | Indian Contract Act Section 172

भारतीय संविदा अधिनियम Indian Contract Act (ICA Section-172) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 172 के अनुसार किसी ऋण के संदाय के लिए या किसी वचन के पालन के लिए प्रतिभूति के तौर पर माल का उपनिधान “गिरवी कहलाता है। उस दशा में उपनिधाता “पणयमकार कहलाता है। उपनिहिती “पणयमदार” कहलाता है, जिसे IC Act Section-172 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 172 (Indian Contract Act Section-172) का विवरण

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 172 IC Act Section-172 के अनुसार किसी ऋण के संदाय के लिए या किसी वचन के पालन के लिए प्रतिभूति के तौर पर माल का उपनिधान “गिरवी कहलाता है। उस दशा में उपनिधाता “पणयमकार कहलाता है। उपनिहिती “पणयमदार” कहलाता है।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 172 (IC Act Section-172 in Hindi)

“गिरवी”, “पणयमकार” और “पणयमदार” की परिभाषा-

किसी ऋण के संदाय के लिए या किसी वचन के पालन के लिए प्रतिभूति के तौर पर माल का उपनिधान “गिरवी कहलाता है। उस दशा में उपनिधाता “पणयमकार कहलाता है। उपनिहिती “पणयमदार” कहलाता है।

Indian Contract Act Section-172 (IC Act Section-172 in English)

“Pledge” “pawnor”, and “pawnee” defined”-

The bailment of goods as security for payment of a debt or performance of a promise is called “pledge”. The bailor is in this case called the “pawnor”. The bailee is called the “pawnee”.

हमारा प्रयास भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act Section) की धारा 172 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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