भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 173 | Indian Contract Act Section 173

भारतीय संविदा अधिनियम Indian Contract Act (ICA Section-173) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 173 के अनुसार पणयमदार गिरवी माल का प्रतिधारण न केवल ऋण के संदाय के लिए या वचन के पालन के लिए कर सकेगा वरन् ऋण के व्याज और गिरवी माल के कब्जे के बारे में या परीक्षण के लिए अपने द्वारा उपगत सारे आवश्यक व्ययों के लिए भी कर सकेगा, जिसे IC Act Section-173 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 173 (Indian Contract Act Section-173) का विवरण

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 173 IC Act Section-173 के अनुसार पणयमदार गिरवी माल का प्रतिधारण न केवल ऋण के संदाय के लिए या वचन के पालन के लिए कर सकेगा वरन् ऋण के व्याज और गिरवी माल के कब्जे के बारे में या परीक्षण के लिए अपने द्वारा उपगत सारे आवश्यक व्ययों के लिए भी कर सकेगा।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 173 (IC Act Section-173 in Hindi)

पणयमदार का प्रतिधारण का अधिकार-

पणयमदार गिरवी माल का प्रतिधारण न केवल ऋण के संदाय के लिए या वचन के पालन के लिए कर सकेगा वरन् ऋण के व्याज और गिरवी माल के कब्जे के बारे में या परीक्षण के लिए अपने द्वारा उपगत सारे आवश्यक व्ययों के लिए भी कर सकेगा।

Indian Contract Act Section-173 (IC Act Section-173 in English)

Pawnee’s right of retainer-

The pawnee may retain the goods pledged, not only for payment of the debt or the performance of the promise, but for the interest of the debt, and all necessary expenses incurred by him in respect of the possession or for the preservation of the goods pledged.

हमारा प्रयास भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act Section) की धारा 173 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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