भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 184 | Indian Contract Act Section 184

भारतीय संविदा अधिनियम Indian Contract Act (ICA Section-184) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 184 के अनुसार जहां तक कि मालिक और पर-व्यक्तियों के बीच का सम्बन्ध है कोई भी व्यक्ति अभिकर्ता हो सकेगा, किन्तु कोई भी व्यक्ति, जो प्राप्तवय और स्वस्थ-चित्त न हो, अभिकर्ता ऐसे न हो सकेगा कि वह अपने मालिक के प्रति तन्निमित्त एतस्मिन् अंतर्विष्ट उपबंधों के अनुसार उत्तरदायी हो, जिसे IC Act Section-184 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 184 (Indian Contract Act Section-184) का विवरण

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 184 IC Act Section-184 के अनुसार जहां तक कि मालिक और पर-व्यक्तियों के बीच का सम्बन्ध है कोई भी व्यक्ति अभिकर्ता हो सकेगा, किन्तु कोई भी व्यक्ति, जो प्राप्तवय और स्वस्थ-चित्त न हो, अभिकर्ता ऐसे न हो सकेगा कि वह अपने मालिक के प्रति तन्निमित्त एतस्मिन् अंतर्विष्ट उपबंधों के अनुसार उत्तरदायी हो।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 184 (IC Act Section-184 in Hindi)

अभिकर्ता कौन हो सकेगा-

जहां तक कि मालिक और पर-व्यक्तियों के बीच का सम्बन्ध है कोई भी व्यक्ति अभिकर्ता हो सकेगा, किन्तु कोई भी व्यक्ति, जो प्राप्तवय और स्वस्थ-चित्त न हो, अभिकर्ता ऐसे न हो सकेगा कि वह अपने मालिक के प्रति तन्निमित्त एतस्मिन् अंतर्विष्ट उपबंधों के अनुसार उत्तरदायी हो।

Indian Contract Act Section-184 (IC Act Section-184 in English)

Who may be an agent-

As between the principal and third persons, any person may become an agent, but no person who is not of the age of majority and of sound mind can become an agent, so as to be responsible to his principal according to the provisions in that behalf herein contained.

हमारा प्रयास भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act Section) की धारा 184 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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