भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 209 | Indian Contract Act Section 209

भारतीय संविदा अधिनियम Indian Contract Act (ICA Section-209) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 209 के अनुसार जबकि मालिक की मृत्यु हो जाने या उसके विकृतचित्त हो जाने से अभिकरण का पर्यवसान हो जाए तब अभिकर्ता अपने को न्यस्त हितों के संरक्षण और परिरक्षण के लिए अपने अभूतपूर्व मालिक के प्रतिनिधियों की ओर से सभी युक्तियुक्त कदम उठाने के लिए आबद्ध है, जिसे IC Act Section-209 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 209 (Indian Contract Act Section-209) का विवरण

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 209 IC Act Section-209 के अनुसार जबकि मालिक की मृत्यु हो जाने या उसके विकृतचित्त हो जाने से अभिकरण का पर्यवसान हो जाए तब अभिकर्ता अपने को न्यस्त हितों के संरक्षण और परिरक्षण के लिए अपने अभूतपूर्व मालिक के प्रतिनिधियों की ओर से सभी युक्तियुक्त कदम उठाने के लिए आबद्ध है।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 209 (IC Act Section-209 in Hindi)

मालिक की मृत्यु या उन्मत्तता के द्वारा अभिकरण के पर्यवसान पर अभिकर्ता का कर्तव्य-

जबकि मालिक की मृत्यु हो जाने या उसके विकृतचित्त हो जाने से अभिकरण का पर्यवसान हो जाए तब अभिकर्ता अपने को न्यस्त हितों के संरक्षण और परिरक्षण के लिए अपने अभूतपूर्व मालिक के प्रतिनिधियों की ओर से सभी युक्तियुक्त कदम उठाने के लिए आबद्ध है।

Indian Contract Act Section-209 (IC Act Section-209 in English)

Agent’s duty on termination of agency by principal’s death or insanity-

When an agency is terminated by the principal dying or becoming of unsound mind, the agent is bound to take, on behalf of the representatives of his late principal, all reasonable steps for the protection and preservation of the interests entrusted to him.

हमारा प्रयास भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act Section) की धारा 209 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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