भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 227 | Indian Contract Act Section 227

भारतीय संविदा अधिनियम Indian Contract Act (ICA Section-227) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 227 के अनुसार जबकि कोई अभिकर्ता उससे अधिक करता है जितना करने के लिए वह् प्राधिकृत है और जबकि जो कुछ वह करता है उसका वह भाग, जो उसके प्राधिकार के भीतर है, उस भाग से, जो उसके प्राधिकार के परे है, पृथक् किया जा सकता है तो जो कुछ वह करता है उसका केवल उतना ही भाग, जितना उसके प्राधिकार के भीतर है, उसके और उसके मालिक के बीच आबद्धकर है, जिसे IC Act Section-227 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 227 (Indian Contract Act Section-227) का विवरण

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 227 IC Act Section-227 के अनुसार जबकि कोई अभिकर्ता उससे अधिक करता है जितना करने के लिए वह् प्राधिकृत है और जबकि जो कुछ वह करता है उसका वह भाग, जो उसके प्राधिकार के भीतर है, उस भाग से, जो उसके प्राधिकार के परे है, पृथक् किया जा सकता है तो जो कुछ वह करता है उसका केवल उतना ही भाग, जितना उसके प्राधिकार के भीतर है, उसके और उसके मालिक के बीच आबद्धकर है।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 227 (IC Act Section-227 in Hindi)

मालिक कहां तक आबद्ध है जबकि अभिकर्ता प्राधिकार से आगे बढ़ जाता है –

जबकि कोई अभिकर्ता उससे अधिक करता है जितना करने के लिए वह् प्राधिकृत है और जबकि जो कुछ वह करता है उसका वह भाग, जो उसके प्राधिकार के भीतर है, उस भाग से, जो उसके प्राधिकार के परे है, पृथक् किया जा सकता है तो जो कुछ वह करता है उसका केवल उतना ही भाग, जितना उसके प्राधिकार के भीतर है, उसके और उसके मालिक के बीच आबद्धकर है।
दृष्टांत
क, जो एक पोत और स्थोरा का स्वामी है, ख को उस पोत का 4,000 रुपए का बीमा उपाप्त करने के लिए प्राधिकृत करता है । ख पोत का 4,000 रुपए का एक बीमा और स्थोरा का समान राशि का दूसरा बीमा उपाप्त करता है। क पोत के बीमे के लिए प्रीमियम देने को आबद्ध है किन्तु स्थोरा के बीमे के लिए प्रीमियम देने को नहीं।

Indian Contract Act Section-227 (IC Act Section-227 in English)

Principal how far bound, when agent exceeds authority-

When an agent does more than he is authorized to do, and when the part of what he does, which is within his authority, can be separated from the part which is beyond his authority, so much only of what he does as is within his authority is binding as between him and his principal.
Illustration
A, being owner of a ship and cargo, authorizes B to procure an insurance for 4,000 rupees on the ship. B procures a policy for 4,000 rupees on the ship, and another for the like sum on the cargo. A is bound to pay the premium for the policy on the ship, but not the premium for the policy on the cargo.

हमारा प्रयास भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act Section) की धारा 227 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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