भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 228 | Indian Contract Act Section 228

भारतीय संविदा अधिनियम Indian Contract Act (ICA Section-228) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 228 के अनुसार जहां कि अभिकर्ता उससे अधिक करता है जितना करने के लिए वह् प्राधिकृत है और अपने प्राधिकार के विस्तार के परे जो कुछ वह करता है वह उससे पृथक् नहीं किया जा सकता जो उसके प्राधिकार के भीतर है वहां मालिक उस संव्यवहार को मान्यता देने के लिए आबद्ध नहीं है, जिसे IC Act Section-228 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 228 (Indian Contract Act Section-228) का विवरण

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 228 IC Act Section-228 के अनुसार जहां कि अभिकर्ता उससे अधिक करता है जितना करने के लिए वह् प्राधिकृत है और अपने प्राधिकार के विस्तार के परे जो कुछ वह करता है वह उससे पृथक् नहीं किया जा सकता जो उसके प्राधिकार के भीतर है वहां मालिक उस संव्यवहार को मान्यता देने के लिए आबद्ध नहीं है।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 228 (IC Act Section-228 in Hindi)

मालिक आबद्ध न होगा जहां कि अभिकर्ता के प्राधिकार से परे किया गया कार्य पृथक् नहीं किया जा सकता–

जहां कि अभिकर्ता उससे अधिक करता है जितना करने के लिए वह् प्राधिकृत है और अपने प्राधिकार के विस्तार के परे जो कुछ वह करता है वह उससे पृथक् नहीं किया जा सकता जो उसके प्राधिकार के भीतर है वहां मालिक उस संव्यवहार को मान्यता देने के लिए आबद्ध नहीं है।
दृष्टांत
क, अपने लिए 500 भेड़ें खरीदने के लिए ख को प्राधिकृत करता है। ख 6,000 रुपए की एक राशि में 500 भेटें और 200 मेमने खरीदा लेता है। क संपूर्ण संव्यवहार का निराकरण कर सकेगा।

Indian Contract Act Section-228 (IC Act Section-228 in English)

Principal not bound when excess of agent’s authority is not separable-

Where an agent does more than he is authorized to do, and what he does beyond the scope of his authority cannot be separated from what is within it, the principal is not bound to recognize the transaction.
Illustration
A authorizes B to buy 500 sheep for him. B buys 500 sheep and 200 lambs for one sum of 6,000 rupees. A may repudiate the whole transaction.

हमारा प्रयास भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act Section) की धारा 228 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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