नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 118 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 118, साथ ही क्या बतलाती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 118 का विवरण
भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 118 के अन्तर्गत सभी व्यक्ति साक्ष्य देने के लिए सक्षम होंगे, जब तक कि न्यायालय का यह विचार न हो कि कोमल वयस, अतिवार्धक्य, शरीर के या मन के रोग या इसी प्रकार के किसी अन्य कारण से वे उनसे किए गए प्रश्नों को समझने से या उन प्रश्नों के युक्तिसंगत उत्तर देने से निवारित हैं।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 118 के अनुसार
कौन साक्ष्य दे सकेगा–
सभी व्यक्ति साक्ष्य देने के लिए सक्षम होंगे, जब तक कि न्यायालय का यह विचार न हो कि कोमल वयस, अतिवार्धक्य, शरीर के या मन के रोग या इसी प्रकार के किसी अन्य कारण से वे उनसे किए गए प्रश्नों को समझने से या उन प्रश्नों के युक्तिसंगत उत्तर देने से निवारित हैं।
Who may testify-
All persons shall be competent to testify unless the Court considers that they are prevented from understanding the questions put to them, or from giving rational answers to those questions, by tender years, extreme old age, disease, whether of body or mind, or any other cause of the same kind.
स्पष्टीकरण- कोई पागल व्यक्ति साक्ष्य देने के लिए अक्षम नहीं है, जब तक कि वह अपने पागलपन के कारण उससे किए गए प्रश्नों को समझने से या उनके युक्तिसंगत उत्तर देने से निवारित न हो।
साक्षी की विश्वसनीयता- यदि किसी साक्षी पर ऐसी बिन्दु पर विश्वास नहीं किया जा सकता, तो दूसरे बिन्दु पर भी उस पर विश्वास न करना उचित नहीं है।
शिशु साक्षी के साक्ष्य का महत्व- केवल शिशु साक्षी के साक्ष्य के आधार पर दोषसिद्धि की जा सकती है, यदि वह तथ्य का साक्ष्य देने के लिए समर्थ पाया जाता है तथा उसका साक्ष्य विश्वसनीय है।
हमारा प्रयास भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 118 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।