नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 158 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 158, साथ ही क्या बतलाती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 158 का विवरण
भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 158 के अन्तर्गत जब कभी कोई कथन, जो धारा 32 या 33 के अधीन सुसंगत है, साबित कर किया जाए, तब चाहे उसके खण्डन के लिए या सम्पुष्टि के लिए या जिसके द्वारा वह दिया गया था उस व्यक्ति की विश्वसनीयता को अधिक्षिप्त या पुष्ट करने के लिए वे सभी बातें साबित की जा सकेंगी, जो यदि वह व्यक्ति साक्षी के रूप में बुलाया गया होता और उसने प्रतिपरीक्षा में सुझायी हुई बात की सत्यता का प्रत्याख्यान किया होता, तो साबित की जा सकतीं।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 158 के अनुसार
साबित कथन के बारे में, जो कथन धारा 32 या 33 के अधीन सुसंगत है, कौन-सी बातें साबित की जा सकेंगी-
जब कभी कोई कथन, जो धारा 32 या 33 के अधीन सुसंगत है, साबित कर किया जाए, तब चाहे उसके खण्डन के लिए या सम्पुष्टि के लिए या जिसके द्वारा वह दिया गया था उस व्यक्ति की विश्वसनीयता को अधिक्षिप्त या पुष्ट करने के लिए वे सभी बातें साबित की जा सकेंगी, जो यदि वह व्यक्ति साक्षी के रूप में बुलाया गया होता और उसने प्रतिपरीक्षा में सुझायी हुई बात की सत्यता का प्रत्याख्यान किया होता, तो साबित की जा सकतीं।
What matters may be proved in connection with proved statement relevant under Section 32 or 33-
Whenever any statement, relevant under Section 32 or 33, is proved, all matters may be proved, either in order to contradict or to corroborate it, or in order to impeach or confirm the credit of the person by whom it was made, which might have been proved if that person had been called as a witness and had denied upon cross-examination of the truth of the matter suggested.
हमारा प्रयास भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 158 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।