नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 66 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 66, साथ ही क्या बतलाती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 66 का विवरण
भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 66 के अन्तर्गत धारा 65, खण्ड (क) में निर्दिष्ट दस्तावेजों की अन्तर्वस्तु का द्वितीयिक साक्ष्य तब तक न दिया जा सकेगा, जब तक ऐसे द्वितीयिक साक्ष्य देने की प्रस्थापना करने वाले पक्षकार ने उस पक्षकार को, जिसके कब्जे में या शक्त्यधीन वह दस्तावेज है या उसके अटनी या प्लीडर को, उसे पेश करने के लिए ऐसी सूचना, जैसी कि विधि द्वारा विहित है।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 66 के अनुसार
पेश करने की सूचना के बारे में नियम-
धारा 65, खण्ड (क) में निर्दिष्ट दस्तावेजों की अन्तर्वस्तु का द्वितीयिक साक्ष्य तब तक न दिया जा सकेगा, जब तक ऐसे द्वितीयिक साक्ष्य देने की प्रस्थापना करने वाले पक्षकार ने उस पक्षकार को, जिसके कब्जे में या शक्त्यधीन वह दस्तावेज है या उसके अटनी या प्लीडर को, उसे पेश करने के लिए ऐसी सूचना, जैसी कि विधि द्वारा विहित है, और यदि विधि द्वारा कोई सूचना विहित नहीं हो तो ऐसी सूचना, जैसी न्यायालय मामले की परिस्थितियों के अधीन युक्तियुक्त समझता है, न दे दी हो :
परन्तु ऐसी सूचना निम्नलिखित अवस्थाओं में से किसी में अथवा किसी भी अन्य अवस्था में, जिसमें न्यायालय उसके दिये जाने से अभिमुक्ति प्रदान कर दे, द्वितीयिक साक्ष्य को ग्राह्य बनाने के लिये अपेक्षित नहीं की जायेगी :-
(1) जबकि साबित की जाने वाली दस्तावेज स्वयं एक सूचना है;
(2) जबकि प्रतिपक्षी को मामले की प्रकृति से यह जानना ही होगा कि उसे पेश करने की उससे अपेक्षा की जायेगी,
(3) जबकि यह प्रतीत होता है या साबित किया जाता है कि प्रतिपक्षी ने मूल पर कब्जा कपट या बल द्वारा अभिप्राप्त कर लिया है;
(4) जबकि मूल प्रतिपक्षी या उसके अभिकर्ता के पास न्यायालय में हैं;
(5) जबकि प्रतिपक्षी या उसके अभिकर्ता ने उसका खो जाना स्वीकार कर लिया है;
(6) जबकि दस्तावेज पर कब्जा रखने वाला व्यक्ति न्यायालय की आदेशिका की पहुंच के बाहर है या ऐसी आदेशिका के अध्यधीन नहीं है।
Rules as to notice to produce-
Secondary evidence of the contents of the documents referred to in Section 65, clause (a), shall not be given unless the party proposing to give such secondary evidence has previously given to the party in whose possession or power the document is, or to his attorney or pleader, such notice to produce it as is prescribed by law, and if no notice is prescribed by law, then such notice as the Court considers reasonable under the circumstances of the case :
Provided that such notice shall not be required in order to render secondary evidence admisssible in any of the following cases, or in any other case in which the Court thinks fit to dispense with it :-
(1) when the document to be proved is itself a notice;
(2) when, from the nature of the case, the adverse party must know that he will be required to produce it;
(3) when it appears or is proved that the adverse party has obtained possession of the original by fraud or force;
(4) when the adverse party or his agent has the original in Court;
(5) when the adverse party or his agent has admitted the loss of the document;
(6) when the person in possession of the document is out of reach of, or not subject to, the process of the Court.
हमारा प्रयास भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 66 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।