कोई व्यक्ति गैर इरादतन हत्या (जो हत्या की श्रेणी मे नही आता) करता है अथवा ऐसा कोई कार्य करता है जो मृत्यु का कारण हो, जिसे मृत्यु देने के इरादे से किया गया हो, या ऐसी शारीरिक चोट जो संभवतः मृत्यु का कारण हो पहुचाने के लिए किया गया हो, तो उसे आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी, या उस व्यक्ति को किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा होगी जिसे 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है, और साथ ही वह आर्थिक दंड के लिए भी उत्तरदायी होगा ।
या ज्ञान पूर्वक ऐसा कोई कार्य करता है जो संभवतः मृत्यु का कारण हो, लेकिन जिसे मृत्यु देने के इरादे, या ऐसी शारीरिक चोट जो संभवतः मृत्यु का कारण हो पहुचाने के लिए से न किया गया हो, तो उसे आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी, या उस व्यक्ति को किसी एक अवधि के लिए की सजा होगी जिसे 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है, और साथ ही वह आर्थिक दंड के लिए भी उत्तरदायी होगा।
धारा- 304 के तहत सजा का प्रावधान
हम में से बहुत से लोगो ने फिल्मों में सुना होगा, जब कोई व्यक्ति किसी की हत्या करता है तो उसके खिलाफ IPC की धारा- 302 लगती है, किंतु फिर आता है क्या उसका आशय इस हत्या को लेकर था या नही अथवा वह किसी और व्यक्ति के कहने के आधार पर ऐसा किया हो । ऐसे में धारा- 304 में सजा का प्रावधान है, इसमें सजा 302 की अपेक्षा थोड़ा कम दंड दिया जाता है । जिसमे आजीवन कारावास की भी सजा दी जा सकती है या उस व्यक्ति को किसी एक अवधि के लिए की सजा होगी जिसे 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है, और साथ ही वह आर्थिक दंड के लिए भी उत्तरदायी होगा। यह अपराध समझौते योग्य नहीं हैं ।
यह एक गैर जमानती अपराध बताया गया है, जिसका मतलब है कि अगर किसी व्यक्ति व्दारा यह अपराध कारित किया जाता है, तो उसके व्दारा न्यायालय में जमानत याचिका दायर करने पर न्यायालय व्दारा उसकी याचिका को निरस्त कर दिया जाता है।
लागू अपराध
यह एक संज्ञेय गैर जमानतीय अपराध है । जिसमे आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक एवम् अर्थदंड भी या दोनो सत्र न्यायालय के विचारानुसार दिए जा सकते है ।
यदि कार्य ज्ञान के साथ किया जाता है कि यह मृत्यु का कारण बनने की संभावना है, लेकिन मृत्यु आदि का कारण बनने के किसी भी इरादे के बिना भी आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक एवम् अर्थदंड भी या दोनो सत्र न्यायालय के विचारानुसार दिए जा सकते है ।