नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 462 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 462 के अंतर्गत कैसे क्या सजा मिलती है और जमानत कैसे मिलती है, और यह अपराध किस श्रेणी में आता है, इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 462 का विवरण
भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में धारा 462 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। जो कोई ऐसा बन्द पात्र, जिसमें सम्पत्ति हो, या जिसमें सम्पत्ति होने का उसे विश्वास हो, अपने पास न्यस्त किये जाने पर उसको खोलने का प्राधिकार न रखते हुए, बेईमानी से या रिष्टि करने के आशय से, उस पात्र को तोड़कर खोलेगा या उपबन्धित करेगा, तो वह धारा 462 के अंतर्गत दंड एवं जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।
आईपीसी की धारा 462 के अनुसार
उसी अपराध के लिये दण्ड, जब कि वह ऐसे व्यक्ति द्वारा किया गया है जिसे अभिरक्षा न्यस्त की गयी है-
जो कोई ऐसा बन्द पात्र, जिसमें सम्पत्ति हो, या जिसमें सम्पत्ति होने का उसे विश्वास हो, अपने पास न्यस्त किये जाने पर उसको खोलने का प्राधिकार न रखते हुए, बेईमानी से या रिष्टि करने के आशय से, उस पात्र को तोड़कर खोलेगा या उपबन्धित करेगा वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
Punishment for same offence when committed by person entrusted with custody-
Whoever, being entrusted with any closed receptacle which contains or which he believes to contain property, without having authority to open the same, dishonestly, or with intent to commit mischief, breaks open or unfastens that receptacle, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to three years, or with fine, or with both.
लागू अपराध
ऐसा बन्द पात्र को, जिसमें सम्पत्ति है या समझी जाती है, न्यस्त किए जाने पर कपटपूर्वक खोलना।
सजा- तीन वर्ष के लिए कारावास या जुर्माना या दोनो।
यह अपराध एक जमानतीय और संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है।
किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
जुर्माना/सजा (Fine/Punishment) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 462 के अंतर्गत जो कोई ऐसा बन्द पात्र, जिसमें सम्पत्ति हो, या जिसमें सम्पत्ति होने का उसे विश्वास हो, अपने पास न्यस्त किये जाने पर उसको खोलने का प्राधिकार न रखते हुए, बेईमानी से या रिष्टि करने के आशय से, उस पात्र को तोड़कर खोलेगा या उपबन्धित करेगा, तो वह दोनों में से, किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा या जुर्माने से या दोनो से भी दण्डनीय होगा।
जमानत (Bail) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 462 अंतर्गत जो अपराध कारित किए जाते है वह अपराध दंड प्रक्रिया संहिता में जमानतीय (Baileble) अपराध की श्रेणी में आते है, इसलिए इस धारा के अंतर्गत किए गए अपराध में जमानत मिल सकेगी।
अपराध | सजा | अपराध श्रेणी | जमानत | विचारणीय |
ऐसा बन्द पात्र को, जिसमें सम्पत्ति है या समझी जाती है, न्यस्त किए जाने पर कपटपूर्वक खोलना। | तीन वर्ष के लिए कारावास या जुर्माना या दोनो। | संज्ञेय | जमानतीय | किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा |
हमारा प्रयास आईपीसी की धारा 462 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।