किशोर न्याय अधिनियम JJ Act (Juvenile Justice Act) की धारा -12 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। किशोर न्याय अधिनियम की धारा-12 के अनुसार, जब एक किशोर को गिरफ्तार किया जाता है या किसी प्राधिकरण के सामने लाया जाता है, तो किशोर की आयु का निर्धारण साक्ष्य, जैसे कि जन्म प्रमाण पत्र, मैट्रिक या समकक्ष प्रमाण पत्र, या चिकित्सा राय मांगकर किया जाएगा।
यदि किशोर की सही उम्र का निर्धारण नहीं किया जा सकता है, तो किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) या बाल न्यायालय विधिवत् गठित मेडिकल बोर्ड द्वारा किशोर की चिकित्सा जांच कराने का आदेश दे सकता है। मेडिकल बोर्ड को उनकी जांच के आधार पर किशोर की उम्र की रिपोर्ट देनी होगी।
यदि चिकित्सकीय जांच के बाद किशोर की आयु 18 वर्ष से कम पाई जाती है, तो किशोर के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए। तथापि, यदि किशोर की आयु 18 वर्ष या उससे अधिक पाई जाती है, तो उसके साथ भारतीय दंड संहिता या लागू होने वाले किसी अन्य कानून के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी।
ऐसे व्यक्ति की जमानत जो दृश्यमान रूप से विधि का उल्लंघन करने वाला अभिकथित बालक है- (1) जब कोई ऐसा व्यक्ति, जो दृश्यमान रूप से एक बालक है और जिसने अभिकथित – जमानतीय या अजमानतीय अपराध किया है, पुलिस द्वारा गिरफ्तार या निरुद्ध किया जाता है या बोर्ड के समक्ष उपसंजात होता है या लाया जाता है, तब दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी, ऐसे व्यक्ति को प्रतिभूि सहित या रहित जमानत पर छोड़ दिया जाएगा या उसे किसी परिवीक्षा अधिकारी के पर्यवेक्षणाधीन या किसी उपयुक्त व्यक्ति की देखरेख के अधीन रखा जाएगा: परंतु ऐसे व्यक्ति को तब इस प्रकार छोड़ा नहीं जाएगा जब यह विश्वास करने के युक्तियुक्त आधार प्रतीत होते हैं कि उस व्यक्ति को छोड़े जाने से यह संभाव्य है कि उसका संसर्ग किसी ज्ञात अपराधी से होगा या उक्त व्यक्ति नैतिक, शारीरिक या मनोवैज्ञानिक रूप से खतरे में पड़ जाएगा या उस व्यक्ति के छोड़े जाने से न्याय का उद्देश्य विफल हो जाएगा और बोर्ड जमानत देने से इंकार करने के कारणों को और ऐसा विनिश्चय लेने से संबंधित परिस्थितियों को अभिलिखित करेगा। (2) जब गिरफ्तार किए जाने पर ऐसे व्यक्ति को पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी द्वारा उपधारा (1) के अधीन जमानत पर नहीं छोड़ा जाता है तब ऐसा अधिकारी उस व्यक्ति को ऐसी रीति से, जो विहित की जाए, ‘[यथास्थिति, संप्रेक्षण गृह या सुरक्षित स्थान) में केवल तब तक के लिए रखवाएगा जब तक ऐसे व्यक्ति को बोर्ड के समक्ष न लाया जा सके। (3) जब ऐसा व्यक्ति, बोर्ड द्वारा उपधारा (1) के अधीन जमानत पर नहीं छोड़ा जाता है तब वह ऐसे व्यक्ति के बारे में जांच के लंबित रहने के दौरान ऐसी कालावधि के लिए जो आदेश में विनिर्दिष्ट की जाए, उसे यथास्थिति, संप्रेक्षण गृह या किसी सुरक्षित स्थान में भेजने के लिए आदेश करेगा। (4) जब विधि का उल्लंघन करने वाला कोई बालक, जमानत के आदेश के सात दिन के भीतर जमानत की शर्तों को पूरा करने में असमर्थ होता है तो ऐसे बालक को जमानत की शर्तों के उपांतरण के लिए बोर्ड के समक्ष पेश किया जाएगा। Bail to a person who is apparently a child alleged to be in conflict with law- (1) When any person, who is apparently a child and is alleged to have committed a abailable or non-bailable offence, is apprehended or detained by the police or appears or brought before a Board, such person shall, notwithstanding anything contained in the Code of Criminal Procedure, 1973 (2 of 1974) or in any other law for the time being in force, be released on bail with or without surety or placed under the supervision of a probation officer or under the care of any fit person: Provided that such person shall not be so released if there appears reasonable grounds for believing that the release is likely to bring that person into association with any known criminal or expose the said person to moral, physical or psychological danger or the persons release would defeat the ends of justice, and the Board shall record the reasons for denying the bail and circumstances that led to such a decision. (2) When such person having been apprehended is not released on bail under sub-section (1) by the officer-in-charge of the police station, such officer shall cause the person to be kept only in an observation home 1[or a place of safety, as the case may be] in such manner as may be prescribed until the person can be brought before a Board. (3) When such person is not released on bail under sub-section (1) by the Board, it shall make an order sending him to an observation home or a place of safety, as the case may be, for such period during the pendency of the inquiry regarding the person, as may be specified in the order. (4) When a child in conflict with law is unable to fulfil the conditions of bail order within seven days of the bail order, such child shall be produced before the Board for modification of the conditions of bail.
हमारा प्रयास किशोर न्याय अधिनियम (Juvenile Justice Act Section) की धारा 12 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।