किशोर न्याय अधिनियम JJ Act (Juvenile Justice Act Section-15) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। किशोर न्याय अधिनियम की धारा 15 के अनुसार, किशोर न्याय बोर्ड व्दारा जघन्य अपराधों मे प्रारम्भिक निर्धारण करना जैसा कि बालक का व्यवहार, समझने की स्थिति और विचार कैसे है, इत्यादि की जांच अपने विशेषज्ञो व्दारा कराती है, जिसे JJ Act Section-15 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।
HIGHLIGHTS
किशोर न्याय अधिनियम की धारा 15 (Juvenile Justice Act Section-15) का विवरण
किशोर न्याय अधिनियम की धारा 15 JJ Act Section-15 के तहत किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) ऐसे किसी बालक द्वारा किए गए जघन्य अपराध की दशा में, जिसने सोलह वर्ष की आयु पूरी कर ली है या जो सोलह वर्ष से अधिक आयु का है, बोर्ड, ऐसा अपराध करने के लिए उसकी मानसिक और शारीरिक क्षमता, अपराध के परिणामों को समझने की योग्यता के बारे में प्रारंभिक निर्धारण किया जाता है, इसके उपरान्त ही न्यायालय किसी बालक को दंड देने की स्थिति आंकी जाती है।
किशोर न्याय अधिनियम की धारा 15 (JJ Act Section-15 in Hindi)
बोर्ड द्वारा जघन्य अपराधों में प्रारंभिक निर्धारण–
( 1 ) किसी ऐसे बालक द्वारा किए गए जघन्य अपराध की दशा में, जिसने सोलह वर्ष की आयु पूरी कर ली है या जो सोलह वर्ष से अधिक आयु का है, बोर्ड, ऐसा अपराध करने के लिए उसकी मानसिक और शारीरिक क्षमता, अपराध के परिणामों को समझने की योग्यता और उन परिस्थितियों को, जिनमें उसने अपराध किया था, के बारे में प्रारंभिक निर्धारण करेगा और धारा 18 की उपधारा (3) के उपबंधों के अनुसार आदेश पारित कर सकेगा :
परंतु ऐसे निर्धारण के लिए बोर्ड, अनुभवी मनोवैज्ञानिकों, मनोसामाजिक कार्यकर्ताओं और अन्य विशेषज्ञों की सहायता ले सकेगा ।
स्पष्टीकरण. – इस धारा के प्रयोजन के लिए, यह स्पष्टीकृत किया जाता है कि प्रारंभिक निर्धारण विचारण नहीं है, लेकिन ऐसे बालक के अभिकथित अपराध को कारित करने की क्षमता तथा परिणामों को समझने का निर्धारण करना है।
(2) जहां प्रारंभिक निर्धारण करने पर बोर्ड का यह समाधान हो जाता है कि मामले का निपटारा बोर्ड द्वारा किया जाना चाहिए तो बोर्ड, यथाशक्य, दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) के अधीन समन मामले के विचारण से संबंधित प्रक्रिया का अनुसरण करेगा :
परंतु बोर्ड द्वारा मामले का निपटारा किया जाने वाला आदेश, धारा 101 की उपधारा (2) के अधीन अपीलीय होगा :
परंतु यह और कि इस धारा के अधीन निर्धारण, धारा 14 के अधीन विनिर्दिष्ट अवधि के भीतर पूरा किया जाएगा ।
Juvenile Justice Act Section-15 (JJ Act Section-15 in English)
Preliminary assessment into heinous offences by Board-
(1) In case of a heinous offence alleged to have been committed by a child, who has completed or is above the age of sixteen years, the Board shall conduct a preliminary assessment with regard to his mental and physical capacity to commit such offence, ability to understand the consequences of the offence and the circumstances in which he allegedly committed the offence, and may pass an order in accordance with the provisions of sub-section (3) of section 18:
Provided that for such an assessment, the Board may take the assistance of experienced psychologists or psycho-social workers or other experts.
Explanation– For the purposes of this section, it is clarified that preliminary assessment is not a trial, but is to assess the capacity of such child to commit and understand the consequences of the alleged offence.
(2) Where the Board is satisfied on preliminary assessment that the matter should be disposed of by the Board, then the Board shall follow the procedure, as far as may be, for trial in summons case under the Code of Criminal Procedure, 1973 (2 of 1974):
Provided that the order of the Board to dispose of the matter shall be appealable under sub-section (2) of section 101:
Provided further that the assessment under this section shall be completed within the period specified in section 14.
हमारा प्रयास किशोर न्याय अधिनियम (Juvenile Justice Act Section) की धारा 15 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।