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मोटर वाहन अधिनियम की धारा 156 | बीमा प्रमाणपत्र का प्रभाव | MV Act, Section- 156 in hindi | Effect of certificate of insurance.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए मोटर वाहन अधिनियम की धारा 156 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है मोटर वाहन अधिनियम की धारा- 156, साथ ही इस धारा के अंतर्गत क्या परिभाषित किया गया है, यह सभी जानकारी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

मोटर वाहन अधिनियम की धारा- 156 का विवरण

मोटर वाहन अधिनियम (Motor Vehicles Act) की धारा -156 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। इस अध्याय के आधीन यदि और जहां तक प्रमाणपत्र में वर्णित पालिसी बीमाकर्ता द्वारा बीमाकृत को जारी नहीं की गई है, बीमाकर्ता द्वारा स्वयं और बीमाकृत के सिवाय किसी अन्य व्यक्ति के बीच ऐसे प्रमाणपत्र में कथित वर्णन और सभी विशिष्टियों के अनुरूप बीमाकृत व्यक्ति को बीमा पालिसी जारी की गई समझी जाएगी।

मोटर वाहन अधिनियम की धारा- 156 के अनुसार

बीमा प्रमाणपत्र का प्रभाव-

जब बीमाकर्ता ने बीमाकर्ता और बीमाकृत व्यक्ति के बीच बीमा की संविदा की बाबत बीमा प्रमाणपत्र जारी किया है तब,-
(क) यदि और जहां तक प्रमाणपत्र में वर्णित पालिसी बीमाकर्ता द्वारा बीमाकृत को जारी नहीं की गई है, बीमाकर्ता द्वारा स्वयं और बीमाकृत के सिवाय किसी अन्य व्यक्ति के बीच ऐसे प्रमाणपत्र में कथित वर्णन और सभी विशिष्टियों के अनुरूप बीमाकृत व्यक्ति को बीमा पालिसी जारी की गई समझी जाएगी।
(ख) यदि बीमाकर्ता ने बीमाकृत को प्रमाणपत्र में वर्णित पालिसी जारी की है, लेकिन पालिसी की वास्तविक निबंधन, बीमाकर्ता के विरुद्ध प्रत्यक्षत: या बीमाकृत व्यक्ति के माध्यम से पालिसी के अधीन या के आधार पर दावा करने वाले व्यक्ति के लिए कम अनुकूल हैं तब पालिसी की विशिष्टियां जैसा प्रमाणपत्र में कथित है, पालिसी जैसी बीमाकर्ता और बीमाकृत के सिवाय किसी अन्य व्यक्ति के बीच है उक्त प्रमाणपत्र में कथित विशिष्टियों की सभी बातों में निबंधनों के अनुरूप समझी जाएगी।

Effect of certificate of insurance-
When an insurer has issued a certificate of insurance in respect of a contract of insurance between the insurer and the insured person, then-
(a) if and so long as the policy described in the certificate has not been issued by the insurer to the insured, the insurer shall, as between himself and any other person except the insured, be deemed to have issued to the insured person a policy of insurance conforming in all respects with the description and particulars stated in such certificate; and
(b) if the insurer has issued to the insured the policy described in the certificate, but the actual terms of the policy are less favorable to persons claiming under or by virtue of the policy against the insurer either directly or through the insured than the particulars of the policy as stated in the certificate, the policy shall, as between the insurer and any other person except the insured, be deemed to be in terms conforming in all respects with the particulars stated in the said certificate.

हमारा प्रयास मोटर वाहन अधिनियम (MV Act) की धारा 156 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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