मोटर वाहन अधिनियम की धारा 185 | किसी मत्त व्यक्ति द्वारा या मादक द्रव्यों के असर में होते हुए किसी व्यक्ति द्वारा मोटर यान चलाया जाना | MV Act, Section- 185 in hindi | Driving by a drunken person or by a person under the influence of drugs.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए मोटर वाहन अधिनियम की धारा 185 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है मोटर वाहन अधिनियम की धारा- 185, साथ ही इस धारा के अंतर्गत क्या परिभाषित किया गया है, यह सभी जानकारी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

मोटर वाहन अधिनियम की धारा- 185 का विवरण

मोटर वाहन अधिनियम (Motor Vehicles Act) की धारा -185 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। इस अधिनियम के अधीन जो कोई मोटर यान को चलाते समय या चलाने का प्रयत्न करते समय जिस किसी के रक्त में किसी श्वास विश्लेषक [या किसी अन्य परीक्षण जिसके अंतर्गत प्रयोगशाला परीक्षण भी है], द्वारा परीक्षण किए जाने पर रक्त के प्रति 100 मिली लीटर में 30 मिली ग्राम से अधिक एल्कोहल पाया जाता है, तो वह इस अपराध के लिए कारावास से दंण्डित किया जायेगा।

मोटर वाहन अधिनियम की धारा- 185 के अनुसार

किसी मत्त व्यक्ति द्वारा या मादक द्रव्यों के असर में होते हुए किसी व्यक्ति द्वारा मोटर यान चलाया जाना-

मोटर यान को चलाते समय या चलाने का प्रयत्न करते समय-
(क) जिस किसी के रक्त में किसी श्वास विश्लेषक [या किसी अन्य परीक्षण जिसके अंतर्गत प्रयोगशाला परीक्षण भी है], द्वारा परीक्षण किए जाने पर रक्त के प्रति 100 मिली लीटर में 30 मिली ग्राम से अधिक एल्कोहल पाया जाता है, या
(ख) जो कोई मादक द्रव्य के असर में इस सीमा तक है कि वह मोटर यान पर समुचित नियंत्रण रखने में असमर्थ है,
वह प्रथम अपराध के लिए कारावास से, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी या [दस हजार रुपए के जुर्माने से, अथवा दोनों से तथा पश्चात्वर्ती अपराध के लिए [***], कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या [पन्द्रह हजार रुपए] के जुर्माने से, अथवा दोनों से, दण्डनीय होगा।
स्पष्टीकरण- इस धारा के प्रयोजनों के लिए, “मादक द्रव्य” पद से “अल्कोहल, प्राकृतिक या कृत्रिम से भिन्न कोई मद्य या कोई अन्य प्राकृतिक सामग्री या कोई लवण या ऐसे पदार्थ या सामग्री की निर्मिति अभिप्रेत है जो इस अधिनियम के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा अधिसूचित की जाए और इसके अंतर्गत स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 (1985 का 61) की धारा 2 के खंड (xiv) और खंड (xxiii) में यथा परिभाषित स्वापक औषधि और मनःप्रभावी पदार्थ भी हैं।

Driving by a drunken person or by a person under the influence of drugs-
Whoever, while driving, or attempting to drive, a motor vehicle-
(a) has, in his blood, alcohol exceeding 30 mg. per 100 ml. of blood to detected in a test by a breath analyser, [or in any other test including a laboratory test], or
(b) is under the influence of a drug to such an extent as to be incapable of exercising proper control over the vehicle,
shall be punishable for the first offence with imprisoninent for a term which may extend to six months, or with fine [of ten thousand rupees], or with both; and for a second or subsequent offence, [***], with imprisonment for a term which may extend to two years, or with fine [of fifteen thousand rupees], or with both.
Explanation- For the purposes of this section, the expression “drug“ means any intoxicant other than alcohol, natural or synthetic, or any natural material or any salt, or preparation of such substance or material as may be notified by the Central Government under this Act and includes a narcotic drug and psychotropic substance as defined in clause (xiv) and clause (xxiii) of section 2 of the Narcotic Drugs and Psychotropic Substances Act, 1985 (61 of 1985).

हमारा प्रयास मोटर वाहन अधिनियम (MV Act) की धारा 185 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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