नमस्कार दोस्तो, आज हम गिरफ्तार व्यक्ति के अधिकार के बारे मे जानेंगे। जब कोई अपराधी व्यक्ति किसी अपराध मे लिप्त पाया जाता है, तो पुलिस अधिकारी व्दारा उस व्यक्ति की गिरफ्तारी की प्रकिया जाती है तो गिरफ्तारी के पश्चात् भी उसके कुछ अधिकार होते है, यह अधिकार दोषी व्यक्ति पर होने वाले न्याययिक प्रक्रिया को भी प्रभावित करता है, इसलिये यह अधिकार हमे मालूम होना चाहिये। यह अधिकार निम्नलिखित है-
1) गिरफ्तारी के आधारों को जानने का अधिकार (Right to know the grounds of arrest)– भारतीय संविधान के अनुच्छेद 22(1) गिरफ्तार व्यक्ति को इस आशय का मूल अधिकार प्रदान करता है कि किसी गिरफ्तार व्यक्ति को यथाशीघ्र गिरफ्तारी के आधार बताये बिना अभिरक्षा (Custody) के निरूद्ध न रखा जाएगा ।
2) जमानत पर रिहा किये जाने के अधिकार के बारे मे सूचित किये जाने का अधिकार (Right to be informed about the right to be released on bail)– दण्ड संहिता की धारा 50(2) के अनुसार यदि गिरफ्तार किया जाने वाला व्यक्ति जमानतीय अपराध का अभियुक्त है, तो अपराध आरोपित व्यक्ति को बिना वारण्ट गिरफ्तार करने वाला पुलिस अधिकारी गिरफ्तार व्यक्ति को यह बतलायेगा कि वह जमानत पर छूटने का अधिकारी है या नही ।
3) गिरफ्तार किये गये व्यक्ति की सूचना देने का दायित्व (Obligation to inform the person arrested)– दण्ड संहिता (संशोधन) अधिनियम 2005 मे जोड़ी गयी धारा 50(क) मे कहा गया है कि प्रत्येक पुलिस अधिकारी या गिरफ्तारी करने वाले किसी अन्य व्यक्ति का यह दायित्व होगा कि ऐसी गिरफ्तारी तथा उस स्थान जहॉ गिरफ्तार व्यक्ति को रखा गया है, उस सम्बन्ध गिरफ्तारी व्यक्ति से सम्बन्धित मित्रो, परिवार जन को सूचना दे या तत्काल सूचित करे ।
4) अपनी पसंद से विधि व्यवसायी से परामर्श तथा प्रतिरक्षा के अधिकार (Advice and immunity from legal practitioner of your choice)– भारतीय संविधान के अनुच्छेद 22(1) के अन्तर्गत गिरफ्तार व्यक्ति को यह मूलाधिकार भी प्राप्त है कि गिरफ्तार व्यक्ति को अपनी पसन्द के विधि व्यवसायी से परामर्श कर सकता है एवंम् अपने पसंन्द के विधि व्यवसायी के माध्यम से प्रतिरक्षा करने का अधिकारी है ।
5) बिना विलम्ब के मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किये जाने का अधिकार (Right to be presented before magistrate without delay)– दण्ड संहिता की धारा 56 के अनुसार बिना वारण्ट गिरफ्तारी करने वाले पुलिस अधिकारी व्दारा बिना विलम्ब किये गिरफ्तार व्यक्ति को दण्डाधिकारी या थाना प्रभारी के समक्ष प्रस्तुत अथवा भेजेगा ।
धारा-76 के अनुसार, गिरफ्तारी वारण्ट निष्पादित करने वाला पुलिस अधिकारी अन्य कोई व्यक्ति बिना अनावश्यक विलम्ब के गिरफ्तार व्यक्ति को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करेगा ।
6) बिना न्यायिक जांच के 24 घण्टे से अधिक निरूद्धि के विरूद्ध अधिकार (Rights against rectification for more than 24 hours without judicial inquiry)- अनुच्छेद 22(2) के अनुसार अभिरक्षा के निरूद्ध व्यक्ति को गिरफ्तार के समय से 24 घण्टों के भीतर निकटस्थ दण्डाधिकारी के समक्ष पेश किया जायेगा । (यात्रा का समय शामिल नही होगा ।)
7) अनावश्यक प्रतिबन्ध के विरूद्ध का अधिकार (Right against unnecessary restrictions)– धारा 46 के अनुसार यदि गिरफ्तार किये जाने वाला व्यक्ति अपने शब्दों या कार्यों से स्वयं अभिरक्षा मे प्रस्तुत कर देता है, तो गिरफ्तारी करे वाला पुलिस अधिकारी या अन्य व्यक्ति उसके शरीर को स्पर्श नही करेगा। अनुच्छेद 21 के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय ने अनेक प्रकरणों मे यह धारित किया है कि गिरफ्तार व्यक्ति को अनावश्यक रूप से बेड़िया या हथकड़िया नही पहनायी जायेगीं ।
8) गिरफ्तारी व्यक्ति के चिकित्सा अधिकारी व्दारा परीक्षा (Examination by medical officer of the arrested person)– जब कोई व्यक्ति गिरफ्तार किया जाता है तब गिरफ्तार किये जाने के पश्चात् वह व्यक्ति राज्य अथवा केन्द्र सरकार सेवाधीन चिकित्सा अधिकारी व्दारा राजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी व्दारा परीक्षा की जायेगी अथवा गिरफ्तार व्यक्ति स्वंय कराने के लिये भी कह सकता है ।
9) विधि के अनुसार तलाशी दिये जाने का अधिकार (Right to search by law)– धारा 51(1) के अनुसार गिरफ्तार व्यक्ति की तलाशी के दौरान प्राप्त वस्तुओ (पहनने वाले वस्त्रो को छोड़कर) को जब्त करने के पश्चात् गिरफ्तार व्यक्ति को जब्त की गयी वस्तुओ की सूची उपलब्ध करायी जायेगी ।
10) शालीनता पूर्ण आचरण की अपेक्षा का अधिकार (Right to expect decent conduct)– धारा-51(2) के अनुसार जहॉ कही किसी गिरफ्तार महिला की तलाशी आवश्यक हो वहॉ शालीता का पूरा ध्यान रखते हुये, किसी महिला व्दारा तलाशी करायी जायेगी ।
11) विधि विरूद्ध गिरफ्तारी के विरूद्ध आत्मरक्षा के प्रयोग अन्य विधिक उपचार प्राप्त करने का अधिकार (Use of self-defense against arrest against law, right to receive other legal remedies)– गिरफ्तार किया गया व्यक्ति विधि के अनुसार आत्मरक्षा के अधिकार का प्रयोग कर सकता है । विधि विरूद्ध गिरफ्तारी का शिकार व्यक्ति सिविल विधि के अन्तर्गत क्षतिपूर्ति का वाद भी दायर कर सकता है।
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