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प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) क्या होती है? (What is First Information Report (FIR)?)

नमस्कार दोस्तो, आज हम प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) सम्बन्धी समस्त जानकारी आपके साथ साझा करने वाले है, साथ ही प्रथम सूचना रिपोर्ट/FIR किसे कहते है, प्रथम सूचना रिपोर्ट/FIR का हिन्दी भाषा मे क्या अर्थ है, और अंग्रेजी मे क्या फुलफार्म है, इसके अलावा एफआईआर/FIR किन-किन मामलों दर्ज करायी जाती है और एफआईआर/FIR दर्ज करने के बाद कैसे कार्यवाही की जाती है।

प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) एक दस्तावेज है जो भारत सहित अन्य देशों में भी पुलिस द्वारा किसी शिकायत को लिखित रूप से दर्ज कराने को प्रथम सूचना रिपोर्ट/एफआईआर/प्राथमिकी FIR कहते है। FIR संज्ञेय अपराध और गैर-संज्ञेय अपराध दोनो पर दर्ज की जाती है। गम्भीर अपराधो मे पुलिस बिना वारंट के अपराधी व्यक्ति पर कार्यवाही कर सकती है प्राथमिकी पहला आधिकारिक दस्तावेज है जो अपराध के बारे में जानकारी दर्ज कराता है, और यह आपराधिक न्याय की प्रक्रिया को गति प्रदान करता है और पुलिस को साक्ष्य एकत्र करने और संदिग्धों की पहचान करने में मदद करता है।

प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) क्या है? (What is FIR?)

प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) एक कानूनी दस्तावेज है। एफआईआर/FIR किसी शिकायत को लिखित रूप से दर्ज कराने को प्रथम सूचना रिपोर्ट/एफआईआर/प्राथमिकी/FIR कहते है। प्राथमिकी सूचना रिपोर्ट पहला आधिकारिक दस्तावेज है जो अपराध के बारे में जानकारी दर्ज कराता है, और यह आपराधिक न्याय की प्रक्रिया को गति प्रदान करता है और पुलिस को साक्ष्य एकत्र करने और संदिग्धों की पहचान करने में मदद करता है। इसके अलावा एफआईआर/FIR का हिन्दी अर्थ प्राथमिकी सूचना रिपोर्ट है और अंग्रेजी मे अर्थ First Information Report कहते है।

एफआईआर प्रथम सूचना रिपोर्ट क्या है?

प्राथमिकी/एफआईआर में अपराध की तारीख, समय और स्थान, पीड़ित और अभियुक्तों की पहचान, अपराध का विवरण और अन्य प्रासंगिक विवरण जैसी जानकारी भी शामिल होती है। प्राथमिकी एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है क्योंकि यह अपराध की जांच के लिए आधार बनाता है, और यह निष्पक्ष जांच है यह सुनिश्चित करके अभियुक्तों के अधिकारों की रक्षा करने में भी मदद करता है।

प्राथमिकी सूचना रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस जांच शुरू करती है और आरोपी को गिरफ्तार करने, साक्ष्य एकत्र करने और गवाहों के बयान दर्ज करने जैसी आवश्यक कार्रवाई की जाती है। मामले की सुनवाई के दौरान एफआईआर को अदालत में सबूत के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है।

प्राथमिकी रिपोर्ट, एक कानूनी दस्तावेज है जो आम तौर पर उस पुलिस स्टेशन द्वारा दर्ज किया जाता है जहां अपराध को अंजाम दिया गया है। संज्ञेय अपराध गम्भीर अपराध की श्रेणी मे आते है जहां पुलिस प्राथमिकी दर्ज करने के लिए बाध्य होती है, और वे इसे दर्ज करने से इनकार नहीं कर सकते हैं। गम्भीर मामलों मे FIR दर्ज करने के पश्चात् पुलिस अपराधी व्यक्ति को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर लेती है।

FIR कितने प्रकार की होती हैं? (How many types of FIR are there?)

एफआईआर/FIR संज्ञेय अपराध का अर्थ उन जघन्य अपराधों से है जैसे की हत्या, बलात्कार, लूट, दहेज प्रताड़ना आदि ऐसे अपराधों के संबंध में एफ आई आर FIR दर्ज होती है इसके अलावा गैर संज्ञेय अपराध उन अपराधो को कहते हैं जो कि जघन्य ना हो जैसेकी हल्की-फुल्की मारपीट, गाली गलौज आदि ऐसे अपराधों के संबंध में सामान्यतः एनसीआर NCR ही दर्ज की जाती है।

एफआईआर/FIR वैसे जघन्य अपराधों के मामलों मे दर्ज की जाती है और मामूली मामलो गैर-संज्ञेय मामलों मे एनसीआर NCR दर्ज की जाती है। हांलाकि अपराधों को दो श्रेणियों मे विभाजित किया गया है पहला गैर-संज्ञेय और दूसरा संज्ञेय। दोनो ही मामलो मे रिपोर्ट दर्ज की जाती है।

FIR कब दर्ज होती है? (When is FIR registered?)

जब कोई घटना किसी के साथ घटित होती है, तब पीड़िता व्यक्ति पुलिस स्टेशन जाकर अपने ऊपर हुये अत्याचार को एक लिखित रूप से दर्ज कराता है, शिकायत की एक प्रति पीड़िता को दी जाती है, जिसे ही FIR/एफआईआर कहते है, जिसके पश्चात् ही पुलिस अधिकारी पीड़िता व्यक्ति पर हुये अत्याचार पर जांच करके, यदि अपराधी व्यक्ति गिरफ्तार करने योग्य है, तो अपराधी व्यक्ति को गिरफ्तार करती है।

कभी कभी किसी मामले मे पीड़िता के साथ हुये अत्याचार के चलते पीड़िता पुलिस स्टेशन जाने मे असर्मथ होती है, तो पुलिस अधिकारी स्वंय जाकर या किसी अन्य व्यक्ति व्दारा सूचित किये जाने के उपरान्त भी पुलिस अधिकारी पीड़िता के साथ हुये अत्याचार को देखते हुये भी एफआईआर दर्ज कर सकता है। साथ ही यदि कोई व्यक्ति पीड़िता के साथ हुये अत्याचार को पुलिस अधिकारी के समक्ष गवाह के रूप मे हुये अत्याचार को उजागर करता है, तब भी पुलिस अधिकारी FIR/एफआईआर दर्ज करने के लिये सक्षम होगी।

FIR कौन लिखा सकता है? (Who can write FIR?)

किसी शिकायत को दर्ज कराने के लिये पीड़ता के परिवार के लोग, पड़ोसी, रिस्तेदार अथवा कोई भी ऐसा व्यक्ति जिसे पीड़िता के साथ हुये अत्याचार के समबन्ध मे पूर्ण जानकारी है, तो वह अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन मे जाकर एफआईआऱ दर्ज करा सकता है।

प्राथमिकी सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने वाले व्यक्ति को पूर्ण जानकारियों का भान होना आवश्यक होता है, इसके अवावा पीड़िता पर होने वाले अत्याचार को पुलिस अधिकारी अपनी डायरी पर नोट करने के पश्चात् एक प्रति शिकायत दर्ज कराने वाले व्यक्ति को दे दी जाती है।

FIR रद्द कैसे होती है? (How is the FIR cancelled?)

किसी प्राथमिक सूचना रिपोर्ट (FIR) को निरस्त करने का अधिकार केवल उच्च न्यायालय को ही है, यदि उच्च न्यायालय को यह ज्ञात हो जाता है कि यह FIR पूर्णतयः असत्य है, केवल फंसाने के उद्देश्य से ही शिकायत दर्ज करायी गयी है। जिसके पश्चात् ही उच्च न्यायालय उस FIR को निरस्त कर अपराधी व्यक्ति को अवमुक्त करने का आदेश दे सकते है।

किसी मामले मे यदि किसी के विरूद्ध अगर प्राथमिक सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की गयी हो, और वह व्यक्ति वास्तव मे उस दोष का दोषी नही है, किसी ने जान-बूझकर उसे फसांया है तो वह उच्च न्यायालय जाकर साक्ष्यो को प्रस्तुत करके अपने आपको बेगुनाह साबित करने के बाद ही FIR को निरस्त किया जा सकता है।

FIR दर्ज कराने के बाद कितने दिन मे चार्ज सीट दाखिल की जाती है? (After registration of FIR, in how many days charge sheet is filed?)

किसी मामले मे जब एफआईआर/FIR दर्ज होती है, तो पुलिस अधिकारी को अपनी एक रिपोर्ट लगानी होती है, जिसे आरोप पत्र/ चार्जशीट कहते है, आरोप पत्र मामले की जटिलता और साक्ष्यों के आधर पर पुलिस अधिकारी व्दारा एक रिपोर्ट बनायी जाती है, जिसे मजिस्ट्रेट के समक्ष दाखिल करना होता है। पुलिस अधिकारी आरोप पत्र 60 से 90 दिन के भीतर अपराध की जांच करके मजिस्ट्रेट के सामने चार्जशीट दाखिल करना होता है।

हमारा प्रयास FIR क्या है (What is FIR) एफआईआर/FIR सम्बन्धी सभी जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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