नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा IPC 376 (आईपीसी की धारा 375 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 376 ? (IPC Section- 376 in hindi) के अंतर्गत कैसे क्या सजा मिलती है और जमानत कैसे मिलती है, और यह अपराध किस श्रेणी में आता है, यह सभी जानकारी आज हम इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
आईपीसी की धारा 376 का विवरण
भारतीय दण्ड संहिता (IPC Section- 376 in hindi) में IPC 376 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। IPC की धारा 376 के अन्तर्गत बलात्संग के लिए दंड (Punishment for Rape) को परिभाषित करती है, जो व्यक्ति बलात्संग जैसे घृणित अपराध को अंजाम देता हैं, तो वह IPC 376 के अंतर्गत दंड एवं जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
IPC 376 के अन्तर्गत जो कोई व्यक्ति किसी के साथ बलात्कार जैसा घृणित अपराध करता है तो उसे कम से कम सात साल की अवधि के कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माना भरने के लिए भी उत्तरदायी हो सकता है।
इसके अलावा, IPC 376 कुछ परिस्थितियों में उच्च दंड का भी प्रावधान देती है, जैसे कि यदि पीड़िता की उम्र 12 वर्ष से कम है, या यदि पीड़िता गर्भवती है या उसे कोई ऐसी चोट लगी है, जिससे उसकी मृत्यु होने की संभावना है या जिसके कारण उसकी मृत्यु होने की संभावना है। ऐसे मामलों में, अपराधी को आजीवन कारावास या मृत्युदंड से भी दंडित किया जा सकता है।
आईपीसी की धारा 376 के अनुसार
बलात्संग के लिये दण्ड-
(1) जो कोई उपधारा (2) द्वारा उपबन्धित मामलों के सिवाय बलात्संग करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कठोर कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष से कम की नहीं होगी, किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी और वह जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
(2) जो कोई,-
(क) पुलिस अधिकारी होते हुये
(i) उस पुलिस थाने की सीमाओं के भीतर, जिसमें वह नियुक्त है, बलात्संग करेगा; या
(ii) किसी भी थाने के परिसर में बलात्संग करेगा; या
(iii) ऐसे पुलिस अधिकारी की अभिरक्षा में या ऐसे पुलिस अधिकारी के अधीनस्थ पुलिस अधिकारी की अभिरक्षा में किसी स्त्री से बलात्संग करेगा; या
(ख) लोक सेवक होते हुए, ऐसे लोक सेवक की अभिरक्षा में या ऐसे लोक सेवक के अधीनस्थ लोक सेवक की अभिरक्षा में स्त्री से बलात्संग करेगा; या
(ग) सशस्त्र बल का सदस्य होते हुए, जो केन्द्रीय या राज्य सरकार द्वारा उस क्षेत्र में परिनियुक्त है, ऐसे क्षेत्र में बलात्संग करेगा; या
(घ) तत्समय प्रवृत्त किसी विधि द्वारा या विधि के अधीन स्थापित किसी कारागार, प्रतिप्रेषण गृह या अभिरक्षा के अन्य स्थान का अथवा स्त्रियों या बालकों की किसी संस्था का प्रबन्धन वर्ग या कर्मचारीवृन्द होते हुए, ऐसे कारागार, प्रतिप्रेषण गृह, स्थान या संस्था के किसी निवासी से बलात्संग करेगा; या
(ङ) किसी अस्पताल के प्रबन्धन वर्ग या कर्मचारीवृन्द होते हुए उस अस्पताल में किसी स्त्री से बलात्संग करेगा; या
(च) स्त्री का सम्बन्धी, संरक्षक या अध्यापक या उसके प्रति विश्वास या प्राधिकार की स्थिति में रहते ऐसी स्त्री से बलात्संग करेगा;
(छ) साम्प्रदायिक या अलगाववाद हिंसा के दौरान बलात्संग करेगा; या
(ज) किसी स्त्री से यह जानते हुए कि वह गर्भवती है, बलात्संग करेगा; या
(झ)***
(ञ) उस स्त्री से बलात्संग करेगा, जो सम्मति देने में असमर्थ है; या
(ट) किसी स्त्री के नियंत्रक या प्रभुत्व की स्थिति में रहते हुए, ऐसी स्त्री से बलात्संग करेगा, या
(ठ) मानसिक या शारीरिक निर्योग्यता से पीड़ित स्त्री से बलात्संग करेगा; या
(ड) बलात्संग करते समय स्त्री को घोर शारीरिक अपहानि कारित करेगा या विकलांग बनायेगा या विद्रूपित करेगा या जीवन को संकटापन्न करेगा; या
(ढ) उसी स्त्री से बार बार बलात्संग करेगा,
वह कठोर कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष से कम नहीं होगी, किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, जिसका तात्पर्य उस व्यक्ति के नैसर्गिक जीवन के शेष के लिए कारावास से होगा दण्डित किया जायेगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
स्पष्टीकरण- इस उपधारा के प्रयोजनों के लिये-
(क) ‘सशस्त्र बल’ से नौसेना, सेना एवं वायुसेना अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत अर्द्धसैनिक बलों एवं किसी सहायक बलों को, जो केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन हैं, शामिल करके तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन गठित सशस्त्र बलों का कोई सदस्य शामिल है।
(ख) ‘अस्पताल’ से अस्पताल का अहाता अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत ऐसी किसी संस्था का अहाता है, जो आरोग्य स्थापन के दौरान व्यक्तियों को चिकित्सीय ध्यान या पुनर्वास की अपेक्षा करने वाले व्यक्तियों को ग्रहण करने और उनका उपचार करने के लिए हैं;
(ग) ‘पुलिस अधिकारी’ का वही अर्थ होगा, जैसा कि पुलिस अधिनियम, 1861 (1861 का 5) के अधीन पद ‘पुलिस’ को समनुदेशित है;
(घ) ‘स्त्रियों या बालकों की संस्था’ से स्त्रियों या बालकों को ग्रहण करने और उनकी देखभाल करने के लिए स्थापित या अनुरक्षित कोई संस्था अभिप्रेत है, चाहे उसका नाम अनाथालय हो या उपेक्षित स्त्रियों या बालकों के लिये गृह या विधवाओं का गृह या किसी अन्य नाम से पुकारे जाने वाली संस्था ।
(3) जो कोई सोलह वर्ष की कम आयु की किसी स्त्री से बलात्संग करेगा, वह कठिन कारावास से, जिसकी अवधि बीस वर्ष से कम की नहीं होगी, किन्तु जो आजीवन कारावास, जिसका अभिप्राय उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास होगा, तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा :
परन्तु ऐसा जुर्माना पीड़ित की चिकित्सा व्ययों और पुनर्वास की पूर्ति करने के लिए न्यायोचित और युक्तियुक्त होगा : परन्तु यह और कि इस उपधारा के अधीन अधिरोपित किसी भी जुर्माने का संदाय पीड़ित को किया जाएगा।
Punishment for rape-
(1) Whoever, except in the cases provided for in sub-section (2), commits rape, shall be punished with rigorous imprisonment of either description for a term which [shall not be less than ten years, but which may extend to imprisonment for life, and shall also be liable to fine.
(2) Whoever,-
(a) being a police officer, commits rape-
(i) within the limits of the police station to which such police officer is appointed; or
(ii) in the premises of any station house; or (iii) on a woman in such police officer’s custody or in the custody of a police officer subordinate to such police officer; or
(b) being a public servant, commits rape on a woman in such public servant’s custody or in the custody of a public servant subordinate to such public servant; or
(c) being a member of the armed forces deployed in an area by the Central or a State Government commits rape in such area; or
(d) being on the management or on the staff of a jail, remand home or other place of custody established by or under any law for the time being in force or of a women’s or children’s institution, commits rape on any inmate of such jail, remand home, place or institution; or
(e) being on the management or on the staff of a hospital, commits rape on a woman in that hospital; or
(f) being a relative, guardian or teacher of, or a person in a position of trust or authority towards the woman, commits rape on such woman; or
(g) commits rape during communal or sectarian violence; or
(h) commits rape on a woman knowing her to be pregnant; or
(i) [***]
(j) commits rape, on a woman incapable of giving consent; or
(k) being in a position of control or dominance over a woman, commits rape
on such woman; or
(l) commits rape on a woman suffering from mental or physical disability; or
(m) while committing rape causes grievous bodily harm or maims or disfigures or endangers the life of a woman; or
(n) commits rape repeatedly on the same woman, shall be punished with rigorous imprisonment for a term which shall not be less than ten years, but which may extend to imprisonment for life, which shall mean imprisonment for the remainder of that person’s natural life, and shall also be liable to fine.
Explanation- For the purposes of this sub-section, –
(a) “armed forces” means the naval, military and air forces and includes any member of the Armed Forces constituted under any law for the time being in force, including the paramilitary forces and any auxiliary forces that are under the control of the Central Government or the State Government.
(b) “hospital” means the precincts of the hospital and includes the precincts of any institution for the reception and treatment of persons during convalescence or of persons requiring medical attention or rehabilitation;
(c) “police officer” shall have the same meaning as assigned to the expression “police” under the Police Act, 1861 (5 of 1861);
(d) “women’s or children’s institution” means an institution, whether called an orphanage or a home for neglected women or children or a widow’s home or an institution called by any other name, which is established and maintained for the reception and care of women or children;
(3) Whoever, commits rape on a woman under sixteen years of age shall be punished with rigorous imprisonment for a term which shall not be less than twenty years, but which may extend to imprisonment for life, which shall mean imprisonment for the remainder of that person’s natural life, and shall also be liable to fine :
Provided that such fine shall be just and reasonable to meet the medical expenses and rehabilitation of the victim :
Provided further that any fine imposed under this sub-section shall be paid to the
victim.
न्यायिक निर्णय– बलात्संग साबित नहीं- बलात्संग साबित नहीं किया जा सकता, यदि अभियोक्त्री ने स्वीकार किया है कि वह घटना के पूर्व पिछले दो वर्ष से बलात्संगी के साथ सम्बन्ध में थी और बलात्संगी उसके आवास पर रात्रि भर ठहरा करता था- तिलकराज बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य, ए० आई० आर० 2016 एस० सी० 406।
लागू अपराध
1. बलात्संग।
सजा- कठिन कारावास से, जो दस वर्षो से कम का नहीं होगा किंतु जो आजीवन कारावास तक का हो सकेगा और जुर्माना।
2. किसी पुलिस अधिकारी या किसी लोक सेवक या सशस्त्र बलों के सदस्य या किसी कारावास, सुधार गृह या अभिरक्षा के अन्य स्थान या स्त्री या बाल संस्था के प्रबन्ध में किसी व्यक्ति या कर्मचारी द्वारा या किसी अस्पताल के प्रबन्ध में किसी व्यक्ति या कर्मचारी द्वारा बलात्संग और बलात्संग पीड़ित की ओर से भरोसे या प्राधिकार के पद पर किसी व्यक्ति द्वारा या बलात्संग पीड़ित के किसी निकट नातेदार द्वारा बलात्संग
सजा- कठिन कारावास से, जो दस वर्षो से कम का नहीं होगा किंतु जो आजीवन कारावास तक का हो सकेगा, जिसका अभिप्राय उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास होगा और जुर्माना।
3. सोलह वर्ष से कम आयु की स्त्री से बलात्संग का अपराध करने वाले व्यक्तिं।
सजा- कठिन कारावास से, जिसकी अवधि बीस वर्ष से कम का नहीं होगा किंतु जो आजीवन कारावास तक का हो सकेगा, जिसका अभिप्राय उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास होगा और जुर्माना।
यह अपराध एक गैर-जमानतीय और संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है।
सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौते योग्य नहीं है।
जुर्माना/सजा (Fine/Punishment) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (IPC 376) के अंतर्गत जो कोई किसी व्यक्ति बलात्संग जैसा अपराध करने का दोषी पाया जाता है तो, वह कठिन कारावास से, जो दस वर्षो से कम का नहीं होगा किंतु जो आजीवन कारावास तक का हो सकेगा, जिसका अभिप्राय उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास होगा और जुर्माना साथ ही यदि सोलह वर्ष से कम आयु की स्त्री से बलात्संग का अपराध करने का दोषी पाया जाता है तो वह कठिन कारावास से, जिसकी अवधि बीस वर्ष से कम का नहीं होगा किंतु जो आजीवन कारावास तक का हो सकेगा, जिसका अभिप्राय उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास होगा और जुर्माना से दण्डित किया जायेगा।
जमानत (Bail) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (IPC 376) अंतर्गत जो अपराध कारित किए जाते है वह अपराध दंड प्रक्रिया संहिता में गैर-जमानतीय (Non-Baileble) अपराध की श्रेणी में आते है, इसलिए इस धारा के अंतर्गत किए गए अपराध में जमानत इतनी आसानी से नही मिल सकता है।
अपराध | सजा | अपराध श्रेणी | जमानत | विचारणीय |
बलात्संग। | कठिन कारावास से, जो दस वर्षो से कम का नहीं होगा किंतु जो आजीवन कारावास तक का हो सकेगा और जुर्माना। | संज्ञेय | गैर-जमानतीय | सेशन न्यायालय द्वारा |
किसी पुलिस अधिकारी या किसी लोक सेवक या सशस्त्र बलों के सदस्य या किसी कारावास, सुधार गृह या अभिरक्षा के अन्य स्थान या स्त्री या बाल संस्था के प्रबन्ध में किसी व्यक्ति या कर्मचारी द्वारा या किसी अस्पताल के प्रबन्ध में किसी व्यक्ति या कर्मचारी द्वारा बलात्संग और बलात्संग पीड़ित की ओर से भरोसे या प्राधिकार के पद पर किसी व्यक्ति द्वारा या बलात्संग पीड़ित के किसी निकट नातेदार द्वारा बलात्संग | कठिन कारावास से, जो दस वर्षो से कम का नहीं होगा किंतु जो आजीवन कारावास तक का हो सकेगा और जुर्माना। | संज्ञेय | गैर-जमानतीय | सेशन न्यायालय द्वारा |
सोलह वर्ष से कम आयु की स्त्री से बलात्संग का अपराध करने वाले व्यक्तिं। | कठिन कारावास से, जो दस वर्षो से कम का नहीं होगा किंतु जो आजीवन कारावास तक का हो सकेगा और जुर्माना। | संज्ञेय | गैर-जमानतीय | सेशन न्यायालय द्वारा |
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