नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 457 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 457 के अंतर्गत कैसे क्या सजा मिलती है और जमानत कैसे मिलती है, और यह अपराध किस श्रेणी में आता है, इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 457 का विवरण
भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में धारा 457 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। जो कोई कारावास से दण्डनीय कोई अपराध करने के लिए रात्रौ प्रच्छन्न गृह-अतिचार या रात्रौ गृह भेदन करेगा, तो वह धारा 457 के अंतर्गत दंड एवं जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।
आईपीसी की धारा 457 के अनुसार
कारावास से दण्डनीय अपराध करने के लिये रात्रौ प्रच्छन्न गृह-अतिचार या रात्रौ गृह भेदन-
जो कोई कारावास से दण्डनीय कोई अपराध करने के लिए रात्रौ प्रच्छन्न गृह-अतिचार या रात्रौ गृह भेदन करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा, तथा यदि वह अपराध, जिसका किया जाना आशयित हो, चोरी हो, तो कारावास की अवधि चौदह वर्ष तक की हो सकेगी।
Lurking house-trespass or house-breaking by night in order to commit offence punishable with imprisonment-
Whoever commits lurking house-trespass by night, or house-breaking by night, in order to the committing of any offence punishable with imprisonment, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to five years, and shall also be liable to fine, and, if the offence intended to be committed is theft, the term of the imprisonment may be extended to fourteen years.
लागू अपराध
कारावास से दण्डनीय अपराध करने के लिये रात्रौ प्रच्छन्न गृह-अतिचार या रात्रौ गृह भेदन।
सजा- पांच वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना।
यदि वह अपराध चोरी है।
सजा- चौदह वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना।
यह अपराध एक गैर-जमानतीय और संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है।
प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
जुर्माना/सजा (Fine/Punishment) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 457 के अंतर्गत जो कोई कारावास से दण्डनीय कोई अपराध करने के लिए रात्रौ प्रच्छन्न गृह-अतिचार या रात्रौ गृह भेदन करेगा, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा। यदि वह अपराध चोरी का है, तो कारावास की अवधि चौदह वर्ष तक की हो सकेगी।
जमानत (Bail) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 457 अंतर्गत जो अपराध कारित किए जाते है वह अपराध दंड प्रक्रिया संहिता में गैर-जमानतीय (Non-Baileble) अपराध की श्रेणी में आते है, इसलिए इस धारा के अंतर्गत किए गए अपराध में जमानत नही मिल सकेगी।
अपराध | सजा | अपराध श्रेणी | जमानत | विचारणीय |
कारावास से दण्डनीय अपराध करने के लिये रात्रौ प्रच्छन्न गृह-अतिचार या रात्रौ गृह भेदन। | पांच वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना। | संज्ञेय | गैर-जमानतीय | प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा |
यदि वह अपराध चोरी है। | चौदह वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना। | संज्ञेय | गैर-जमानतीय | प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा |
हमारा प्रयास आईपीसी की धारा 457 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।