भारतीय न्याय संहिता की धारा 210 हिन्दी मे (BNS Act Section-210 in Hindi) –
अध्याय XIII
210. जो कोई किसी लोक सेवक को किसी विषय पर सूचना देने के लिए वैध रूप से आबद्ध होते हुए, उस विषय पर ऐसी सूचना सत्य मानकर देगा, जिसके बारे में वह जानता है या विश्वास करने का कारण रखता है कि वह मिथ्या है,-
लोक सेवकों के वैध प्राधिकार की अवमानना।
210. झूठी जानकारी प्रस्तुत करना।
(क) वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो पांच हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से दण्डित किया जाएगा;
(ख) जहां वह सूचना, जिसे देने के लिए वह वैध रूप से आबद्ध है, किसी अपराध के किए जाने के संबंध में है, या किसी अपराध के किए जाने को रोकने के प्रयोजन से, या किसी अपराधी को पकड़ने के लिए अपेक्षित है, वहां वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
दृष्टांत-
(क) भूस्वामी क, अपनी संपदा की सीमाओं के भीतर किसी हत्या के किए जाने के बारे में जानते हुए, जिले के मजिस्ट्रेट को जानबूझकर गलत सूचना देता है कि मृत्यु सांप के काटने के परिणामस्वरूप दुर्घटनावश हुई है। क इस धारा में परिभाषित अपराध का दोषी है।
(ख) क, जो गांव का चौकीदार है, यह जानते हुए कि उसके गांव से काफी संख्या में अजनबी लोग गुजरे हैं ताकि वह पड़ोसी स्थान पर रहने वाले य के घर में डकैती करे, और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 28 के अधीन रहते हुए, निकटतम पुलिस थाने के अधिकारी को उपरोक्त तथ्य की पूर्व और समय पर सूचना देने के लिए, पुलिस अधिकारी को जानबूझकर गलत सूचना देता है कि संदिग्ध व्यक्तियों का एक समूह किसी भिन्न दिशा में किसी दूरस्थ स्थान पर डकैती करने के उद्देश्य से गांव से गुजरा है। यहां क इस धारा के उत्तरार्द्ध में परिभाषित अपराध का दोषी है।
स्पष्टीकरण- धारा 209 और इस धारा में शब्द “अपराध” में भारत के बाहर किसी स्थान पर किया गया कोई कार्य सम्मिलित है, जो यदि भारत में किया जाता तो निम्नलिखित धाराओं में से किसी के अधीन दंडनीय होता, अर्थात् धारा 97, 99, 172, 173, 174, 175, 301, धारा 303 के खंड (ख) से
(घ), धारा 304, 305, 306, 320, 325 और 326 तथा शब्द “अपराधी” में ऐसा कोई व्यक्ति सम्मिलित है, जिसके बारे में यह अभिकथन किया गया है कि वह ऐसे किसी कार्य का दोषी है।
Bharatiya Nyaya Sanhita Section 210 in English (BNS Act Section-210 in English) –
Chapter XIII
210. Whoever, being legally bound to furnish information on any subject to any public servant, as such, furnishes, as true, information on the subject which he knows or has reason to believe to be false,–
Of Contempts Of The Lawful Authority of Public Servants.
210. Furnishing false information.
(a) shall be punished with simple imprisonment for a term which may extend to six months, or with fine which may extend to five thousand rupees, or with both;
(b) where the information which he is legally bound to give respects the commission of an offence, or is required for the purpose of preventing the commission of an offence, or in order to the apprehension of an offender, with imprisonment of either description for a term which may extend to two years, or with fine, or with both.
Illustrations-
(a) A, a landholder, knowing of the commission of a murder within the limits of his estate, wilfully misinforms the Magistrate of the district that the death has occurred by accident in consequence of the bite of a snake. A is guilty of the offence defined in this section.
(b) A, a village watchman, knowing that a considerable body of strangers has passed through his village in order to commit a dacoity in the house of Z, residing in a neighbouring place, and being section 28 of the Bhartiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023 to give early and punctual information of the above fact to the officer of the nearest police-station, wilfully misinforms the police officer that a body of suspicious characters passed through the village with a view to commit dacoity in a certain distant place in a different direction. Here A is guilty of the offence defined in the latter part of this section.
Explanation- In section 209 and in this section the word “offence” include any act committed at any place out of India, which, if committed in India, would be punishable under any of the following sections, namely, 97, 99, 172, 173, 174, 175, 301, clauses (b) to
(d) of section 303, sections 304, 305, 306, 320, 325 and 326 and the word “offender” includes any person who is alleged to have been guilty of any such act.