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सीआरपीसी की धारा 118 | उस व्यक्ति का उन्मोचन जिसके विरुद्ध इत्तिला दी गई है | CrPC Section- 118 in hindi| Discharge of person informed against.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 118 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 118 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 118 का विवरण

दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) में धारा 118 के अन्तर्गत जब किसी मामले में किसी व्यक्ति को धारा 116 के अधीन जांच पर यह साबित नहीं होता है कि, यथास्थिति, परिशान्ति कायम रखने के लिए या सदाचार बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि वह व्यक्ति, जिसके बारे में जांच की गई है, बन्धपत्र निष्पादित करे तो मजिस्ट्रेट उस अभिलेख में उस भाव की प्रविष्टि करेगा, तो यह धारा 118 के अंतर्गत ऐसा व्यक्ति केवल उस जांच के प्रयोजनों के लिए ही अभिरक्षा में है तो उसे छोड़ देगा अथवा यदि ऐसा व्यक्ति अभिरक्षा में नहीं है तो उसे उन्मोचित कर देगा।

जब किसी मामले में किसी व्यक्ति पर धारा 116 के अधीन जांच पर यह साबित नहीं होती है कि, यथास्थिति, परिशान्ति कायम रखने के लिए या सदाचार बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि वह व्यक्ति, जिसके बारे में जांच की गई है, बन्धपत्र निष्पादित करे तो मजिस्ट्रेट उस अभिलेख में उस भाव की प्रविष्टि करेगा, तो CrPC की धारा 118 के अंतर्गत ऐसा व्यक्ति केवल उस जांच के प्रयोजनों के लिए ही अभिरक्षा में है तो उसे छोड़ देगा अथवा यदि ऐसा व्यक्ति अभिरक्षा में नहीं है तो उसे उन्मोचित कर देगा।

सीआरपीसी की धारा 118 के अनुसार

उस व्यक्ति का उन्मोचन जिसके विरुद्ध इत्तिला दी गई है-

यदि धारा 116 के अधीन जांच पर यह साबित नहीं होता है कि, यथास्थिति, परिशान्ति कायम रखने के लिए या सदाचार बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि वह व्यक्ति, जिसके बारे में जांच की गई है, बन्धपत्र निष्पादित करे तो मजिस्ट्रेट उस अभिलेख में उस भाव की प्रविष्टि करेगा और यदि ऐसा व्यक्ति केवल उस जांच के प्रयोजनों के लिए ही अभिरक्षा में है तो उसे छोड़ देगा अथवा यदि ऐसा व्यक्ति अभिरक्षा में नहीं है तो उसे उन्मोचित कर देगा।

Discharge of person informed against-
If, on an inquiry under Section 116, it is not proved that it is necessary for keeping the peace or maintaining good behavior, as the case may be, that the person in respect of whom the inquiry is made, should execute a bond, the Magistrate shall make an entry on the record to that effect, and if such person is in custody only for the purposes of the inquiry, shall release him, or, if such person is not in custody, shall discharge him.

हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 118 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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