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सीआरपीसी की धारा 142 | जांच के लंबित रहने तक व्यादेश | CrPC Section- 142 in hindi| Injunction pending inquiry.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 142 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 142 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 142 का विवरण

दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) में धारा 142 के अन्तर्गत यदि धारा 133 के अधीन आदेश देने वाला मजिस्ट्रेट यह समझता है कि जनता को आसन्न खतरे या गंभीर किस्म की हानि का निवारण करने के लिए तुरन्त उपाय किए जाने चाहिए तो वह, उस व्यक्ति को, जिसके विरुद्ध आदेश दिया गया था, ऐसा व्यादेश देगा जैसा उस खतरे या हानि को, मामले का अवधारण होने तक, दूर या निवारित करने के लिए अपेक्षित है। मजिस्ट्रेट स्वयं ऐसे साधनों का उपयोग कर सकता है या करवा सकता है जो वह उस खतरे को दूर करने या हानि का निवारण करने के लिए ठीक समझे, तो यह धारा 142 लागू होगी।

सीआरपीसी की धारा 142 के अनुसार

जांच के लंबित रहने तक व्यादेश-

(1) यदि धारा 133 के अधीन आदेश देने वाला मजिस्ट्रेट यह समझता है कि जनता को आसन्न खतरे या गंभीर किस्म की हानि का निवारण करने के लिए तुरन्त उपाय किए जाने चाहिए तो वह, उस व्यक्ति को, जिसके विरुद्ध आदेश दिया गया था, ऐसा व्यादेश देगा जैसा उस खतरे या हानि को, मामले का अवधारण होने तक, दूर या निवारित करने के लिए अपेक्षित है।
(2) यदि ऐसे व्यादेश के तत्काल पालन में उस व्यक्ति द्वारा व्यतिक्रम किया जाता है तो मजिस्ट्रेट स्वयं ऐसे साधनों का उपयोग कर सकता है या करवा सकता है जो वह उस खतरे को दूर करने या हानि का निवारण करने के लिए ठीक समझे।
(3) मजिस्ट्रेट द्वारा इस धारा के अधीन सद्भावपूर्वक की गई किसी बात के बारे में कोई वाद न होगा।

Injunction pending inquiry-
(1) If a Magistrate making an order under Section 133 considers that immediate measures should be taken to prevent imminent danger or injury of a serious kind to the public, he may issue such an injunction to the person against whom the order was made, as is required to obviate or prevent such danger or injury pending the determination of the matter.
(2) In default of such person forthwith obeying such injunction, the Magistrate may himself use, or cause to be used, such means as he thinks fit to obviate such danger or to prevent such injury.
(3) No suit shall lie in respect of anything done in good faith by a Magistrate under this section.

हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 142 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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