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सीआरपीसी की धारा 143 | मजिस्ट्रेट लोक न्यूसेंस की पुनरावृत्ति या उसे चालू रखने का प्रतिषेध कर सकता है | CrPC Section- 143 in hindi| Magistrate may prohibit repetition or continuance of public nuisance.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 143 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 143 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 143 का विवरण

दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) में धारा 143 के अन्तर्गत कोई जिला मजिस्ट्रेट अथवा उपखंड मजिस्ट्रेट या राज्य सरकार या जिला मजिस्ट्रेट द्वारा इस निमित्त सशक्त किया गया कोई अन्य कार्यपालक मजिस्ट्रेट किसी व्यक्ति को आदेश दे सकता है कि वह भारतीय दण्ड संहिता (1860 का 45) में या किसी अन्य विशेष या स्थानीय विधि में यथापरिभाषित लोक न्यूसेंस की न तो पुनरावृत्ति करे और न उसे चालू रखे।

सीआरपीसी की धारा 143 के अनुसार

मजिस्ट्रेट लोक न्यूसेंस की पुनरावृत्ति या उसे चालू रखने का प्रतिषेध कर सकता है-

कोई जिला मजिस्ट्रेट अथवा उपखंड मजिस्ट्रेट या राज्य सरकार या जिला मजिस्ट्रेट द्वारा इस निमित्त सशक्त किया गया कोई अन्य कार्यपालक मजिस्ट्रेट किसी व्यक्ति को आदेश दे सकता है कि वह भारतीय दण्ड संहिता (1860 का 45) में या किसी अन्य विशेष या स्थानीय विधि में यथापरिभाषित लोक न्यूसेंस की न तो पुनरावृत्ति करे और न उसे चालू रखे।

Magistrate may prohibit repetition or continuance of public nuisance-
A District Magistrate or Sub-divisional Magistrate, or any other Executive Magistrate empowered by the State Government or the District Magistrate in this behalf, may order any person not to repeat or continue a public nuisance, as defined in the Indian Penal Code (45 of 1860), or any special or local law.

हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 143 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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