नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 171 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 171 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 171 का विवरण
दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) में धारा 171 के अन्तर्गत जब किसी मामले मे किसी परिवादी या साक्षी से न्यायालय साथ जाने की अवश्यकता नही होगी, उससे अपनी हाजिरी के लिये उसके बन्धपत्र देने की उपेक्षा की जायेगी, यदि बन्धपत्र निष्पादित करने से इंकार करता है तो पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी उसे मजिस्ट्रेट के पास अभिरक्षा में भेज सकता है, जो उसे तब तक अभिरक्षा में निरुद्ध रख सकता है जब तक वह ऐसा बन्धपत्र निष्पादित नहीं कर देता है या जब तक मामले की सुनवाई समाप्त नहीं हो जाती है। यह धारा 171 ऐसे मामलों में परिवादी और साक्षियों से पुलिस अधिकारी के साथ जाने की अपेक्षा न किया जाना और उनका अवरुद्ध न किया जाना प्रक्रिया को बतलाता है।
सीआरपीसी की धारा 171 के अनुसार
परिवादी और साक्षियों से पुलिस अधिकारी के साथ जाने की अपेक्षा न किया जाना और उनका अवरुद्ध न किया जाना-
किसी परिवादी या साक्षी से, जो किसी न्यायालय में जा रहा है, पुलिस अधिकारी के साथ जाने की अपेक्षा न की जाएगी, और न तो उसे अनावश्यक रूप से अवरुद्ध किया जाएगा या असुविधा पहुंचाई जाएगी और न उससे अपनी हाजिरी के लिए उसके अपने बंधपत्र से भिन्न कोई प्रतिभूति देने की अपेक्षा की जाएगी :
परन्तु यदि कोई परिवादी या साक्षी हाजिर होने से, या धारा 170 में निर्दिष्ट प्रकार का बंधपत्र निष्पादित करने से इंकार करता है तो पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी उसे मजिस्ट्रेट के पास अभिरक्षा में भेज सकता है, जो उसे तब तक अभिरक्षा में निरुद्ध रख सकता है जब तक वह ऐसा बन्धपत्र निष्पादित नहीं कर देता है या जब तक मामले की सुनवाई समाप्त नहीं हो जाती है।
Complainant and witnesses not to be required to accompany police officer and not to be subjected to restraint-
No complainant or witness on his way to any Court shall be required to accompany a police officer, or shall be subjected to unnecessary restraint or inconvenience, or required to give any security for his appearance other than his own bond:
Provided that, if any complainant or witness refuses to attend or to execute a bond as directed in Section 170, the officer in charge of the police station may forward him in custody to the Magistrate, who may detain him in custody until he executes such bond, or until the hearing of the case is completed.
हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 171 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।