सीआरपीसी की धारा 201 | ऐसे मजिस्ट्रेट द्वारा प्रक्रिया जो मामले का संज्ञान करने के लिए सक्षम नहीं है | CrPC Section- 201 in hindi| Procedure by Magistrate not competent to take cognizance of the case.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 201 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 201 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 201 का विवरण

दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) में धारा 201 के अन्तर्गत यदि परिवाद ऐसे मजिस्ट्रेट को किया जाता है जो उस अपराध का संज्ञान करने के लिए सक्षम नहीं है, तो उस परिस्थिति में यदि परिवाद लिखित है तो वह उसकी समुचित न्यायालय में पेश करने के लिए, उस भाव के पृष्ठांकन सहित, लौटा देगा अथवा यदि परिवाद लिखित नहीं है तो वह परिवादी को उचित न्यायालय में जाने का निदेश देगा।

सीआरपीसी की धारा 201 के अनुसार

ऐसे मजिस्ट्रेट द्वारा प्रक्रिया जो मामले का संज्ञान करने के लिए सक्षम नहीं है-

यदि परिवाद ऐसे मजिस्ट्रेट को किया जाता है जो उस अपराध का संज्ञान करने के लिए सक्षम नहीं है, तो-
(क) यदि परिवाद लिखित है तो वह उसकी समुचित न्यायालय में पेश करने के लिए, उस भाव के पृष्ठांकन सहित, लौटा देगा;
(ख) यदि परिवाद लिखित नहीं है तो वह परिवादी को उचित न्यायालय में जाने का निदेश देगा।

Procedure by Magistrate not competent to take cognizance of the case-
If the complaint is made to a Magistrate who is not competent to take cognizance of the offence, he shall,-
(a) if the complaint is in writing, return it for presentation to the proper Court with an endorsement to that effect;
(b) if the complaint is not in writing, direct the complainant to the proper Court.

हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 201 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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