सीआरपीसी की धारा 203 | परिवाद का खारिज किया जाना | CrPC Section- 203 in hindi| Dismissal of complaint.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 203 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 203 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 203 का विवरण

दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) में धारा 203 के अन्तर्गत यदि परिवादी के और साक्षियों के शपथ पर किए गए कथन पर (यदि कोई हो), और धारा 202 के अधीन जांच या अन्वेषण के (यदि कोई हो) परिणाम पर, विचार करने के पश्चात्, मजिस्ट्रेट की यह राय है कि कार्यवाही करने के लिए पर्याप्त आधार नहीं है तो वह परिवाद को खारिज कर देगा और ऐसे प्रत्येक मामले में वह ऐसा करने के अपने कारणों को संक्षेप में अभिलिखित करेगा।

सीआरपीसी की धारा 203 के अनुसार

परिवाद का खारिज किया जाना-

यदि परिवादी के और साक्षियों के शपथ पर किए गए कथन पर (यदि कोई हो), और धारा 202 के अधीन जांच या अन्वेषण के (यदि कोई हो) परिणाम पर, विचार करने के पश्चात्, मजिस्ट्रेट की यह राय है कि कार्यवाही करने के लिए पर्याप्त आधार नहीं है तो वह परिवाद को खारिज कर देगा और ऐसे प्रत्येक मामले में वह ऐसा करने के अपने कारणों को संक्षेप में अभिलिखित करेगा।

Dismissal of complaint-
If, after considering the statements on oath (if any) of the complainant and of the witnesses and the result of the inquiry or investigation (if any) under Section 202, the Magistrate is of opinion that there is no sufficient ground for proceeding, he shall dismiss the complaint, and in every such case he shall briefly record his reasons for so doing.

हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 203 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

3 thoughts on “सीआरपीसी की धारा 203 | परिवाद का खारिज किया जाना | CrPC Section- 203 in hindi| Dismissal of complaint.”

  1. क्या २०३ में एक बार परिवाद ख़ारिज होने के बाद उसको रिस्टोर किया जा सकता है

    Reply

Leave a Comment