सीआरपीसी की धारा 279 | अभियुक्त या उसके प्लीडर को साक्ष्य का भाषान्तर सुनाया जाना | CrPC Section- 279 in hindi| Interpretation of evidence to accused or his pleader.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 279 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 279 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 279 का विवरण

दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 279 के अन्तर्गत जब अभियुक्त या उसके प्लीडर को कोई साक्ष्य ऐसी भाषा में दिया जाए जिसे अभियुक्त नहीं समझता है और वह न्यायालय में स्वयं उपस्थित है तब खुले न्यायालय में उसे उस भाषा में उसका भाषान्तर सुनाया जाएगा जिसे वह समझता है, अर्थात् जब कोई साक्ष्य जो किसी अन्य भाषा में है, न्यायालय के समक्ष पेश किया जाता है, यदि आवश्यक है, तो न्यायालय द्वारा अभियुक्त या उसके प्लीडर को उस भाषा में उसका भाषान्तर सुनाया जाएगा जिसे वह समझता है।

सीआरपीसी की धारा 279 के अनुसार

अभियुक्त या उसके प्लीडर को साक्ष्य का भाषान्तर सुनाया जाना-

(1) जब कभी कोई साक्ष्य ऐसी भाषा में दिया जाए जिसे अभियुक्त नहीं समझता है और वह न्यायालय में स्वयं उपस्थित है तब खुले न्यायालय में उसे उस भाषा में उसका भाषान्तर सुनाया जाएगा जिसे वह समझता है।
(2) यदि वह प्लीडर द्वारा हाजिर हो और साक्ष्य न्यायालय की भाषा भिन्न और प्लीडर द्वारा न समझी जाने वाली भाषा में दिया जाता है तो उसका भाषान्तर ऐसे प्लीडर को न्यायालय की भाषा में सुनाया जाएगा।
(3) जब दस्तावेजें यथारीति सबूत के प्रयोजन के लिए पेश की जाती हैं तब यह न्यायालय के स्वविवेक पर निर्भर करेगा कि वह उनमें से उतने का भाषान्तर सुनाए जितना आवश्यक प्रतीत हो।

Interpretation of evidence to accused or his pleader-
(1) Whenever any evidence is given in a language not understood by the accused, and he is present in Court in person, it shall be interpreted to him in open Court in a language understood by him.
(2) If he appears by pleader and the evidence is given in a language other than the language of the Court, and not understood by the pleader, it shall be interpreted to such pleader in that language.
(3) When documents are put for the purpose of formal proof, it shall be in the discretion of the Court to interpret as much thereof as appears necessary.

हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 279 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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