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सीआरपीसी की धारा 303 | जिस व्यक्ति के विरुद्ध कार्यवाही संस्थित की गई है उसका प्रतिरक्षा कराने का अधिकार | CrPC Section- 303 in hindi| Right of person against whom proceedings are instituted to be defended.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 303 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 303 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 303 का विवरण

दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 303 के अन्तर्गत जो व्यक्ति दण्ड न्यायालय के समक्ष अपराध के लिए अभियुक्त है या जिसके विरुद्ध इस संहिता के अधीन कार्यवाही संस्थित की गई है, उसका यह अधिकार होगा कि उसकी पसंद के प्लीडर द्वारा उसकी प्रतिरक्षा की जाए।

सीआरपीसी की धारा 303 के अनुसार

जिस व्यक्ति के विरुद्ध कार्यवाही संस्थित की गई है उसका प्रतिरक्षा कराने का अधिकार-

जो व्यक्ति दण्ड न्यायालय के समक्ष अपराध के लिए अभियुक्त है या जिसके विरुद्ध इस संहिता के अधीन कार्यवाही संस्थित की गई है, उसका यह अधिकार होगा कि उसकी पसंद के प्लीडर द्वारा उसकी प्रतिरक्षा की जाए।

Right of person against whom proceedings are instituted to be defended-
Any person accused of an offence before a Criminal Court, or against whom proceedings are instituted under this Code, may of right be defended by a pleader of his choice.

हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 303 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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