सीआरपीसी की धारा 310 | स्थानीय निरीक्षण | CrPC Section- 310 in hindi| Local inspection.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 310 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 310 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 310 का विवरण

दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 310 के अन्तर्गत कोई न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट किसी जांच, विचारण या अन्य कार्यवाही के किसी प्रक्रम में, पक्षकारों को सम्यक् सूचना देने के पश्चात् किसी स्थान में, जिसमें अपराध का किया जाना अभिकथित है, या किसी अन्य स्थान में जा सकता है और उसका निरीक्षण कर सकता है, जिसके बारे में उसकी राय है कि उसका अवलोकन ऐसी जांच या विचारण में दिए गए साक्ष्य का उचित विवेचन करने के प्रयोजन से आवश्यक है और ऐसे निरीक्षण में देखे गए किन्हीं सुसंगत तथ्यों का ज्ञापन, अनावश्यक विलम्ब के बिना, लेखबद्ध करेगा। ऐसा ज्ञापन मामले के अभिलेख का भाग होगा और यदि अभियोजक, परिवादी या अभियुक्त या मामले का अन्य कोई पक्षकार ऐसा चाहे तो उसे ज्ञापन की प्रतिलिपि निःशुल्क दी जायगी।

सीआरपीसी की धारा 310 के अनुसार

स्थानीय निरीक्षण-

(1) कोई न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट किसी जांच, विचारण या अन्य कार्यवाही के किसी प्रक्रम में, पक्षकारों को सम्यक् सूचना देने के पश्चात् किसी स्थान में, जिसमें अपराध का किया जाना अभिकथित है, या किसी अन्य स्थान में जा सकता है और उसका निरीक्षण कर सकता है, जिसके बारे में उसकी राय है कि उसका अवलोकन ऐसी जांच या विचारण में दिए गए साक्ष्य का उचित विवेचन करने के प्रयोजन से आवश्यक है और ऐसे निरीक्षण में देखे गए किन्हीं सुसंगत तथ्यों का ज्ञापन, अनावश्यक विलम्ब के बिना, लेखबद्ध करेगा।
(2) ऐसा ज्ञापन मामले के अभिलेख का भाग होगा और यदि अभियोजक, परिवादी या अभियुक्त या मामले का अन्य कोई पक्षकार ऐसा चाहे तो उसे ज्ञापन की प्रतिलिपि निःशुल्क दी जायगी।

Local inspection-
(1) Any Judge or Magistrate may, at any stage of any inquiry, trial or other proceeding, after due notice to the parties, visit and inspect any place in which an offence is alleged to have been committed, or any other place which it is in his opinion necessary to view for the purpose of properly appreciating the evidence given at such inquiry or trial, and shall without unnecessary delay record a memorandum of any relevant facts observed at such inspection.
(2) Such memorandum shall form part of the record of the case and if the prosecutor, complainant or accused or any other party to the case, so desires, a copy of the memorandum shall be furnished to him free of cost.

हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 310 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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