सीआरपीसी की धारा 349 | उत्तर देने या दस्तावेज पेश करने से इंकार करने वाले व्यक्ति को कारावास या उसकी सुपुर्दगी | CrPC Section- 349 in hindi| Imprisonment or committal of person refusing to answer or produce document.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 349 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 349 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 349 का विवरण

दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 349 के अन्तर्गत यदि दंड न्यायालय के समक्ष कोई साक्षी या कोई व्यक्ति, जो किसी दस्तावेज या चीज को पेश करने के लिए बुलाया गया है, उन प्रश्नों का, जो उससे किए जाएं, उत्तर देने से या अपने कब्जे या शक्ति में की किसी दस्तावेज या चीज को, जिसे पेश करने की न्यायालय उससे अपेक्षा करे, पेश करने से इंकार करता है और ऐसे इंकार के लिए कोई उचित कारण पेश करने के लिए युक्तियुक्त अवसर दिए जाने पर ऐसा नहीं करता है तो ऐसा न्यायालय उन कारणों से, जो लेखबद्ध किए जाएंगे उसे सात दिन से अनधिक की किसी अवधि के लिए सादा कारावास का दंडादेश दे सकेगा अथवा पीठासीन मजिस्ट्रेट या न्यायाधीश द्वारा हस्ताक्षरित वारंट द्वारा न्यायालय के किसी अधिकारी की अभिरक्षा के लिए सुपुर्द कर सकेगा, जब तक कि उस बीच ऐसा व्यक्ति अपनी परीक्षा की जाने और उत्तर देने के लिए या दस्तावेज या चीज पेश करने के लिए। सहमत नहीं हो जाता है और उसके इंकार पर डटे रहने की दशा में उसके बारे में धारा 345 या धारा 346 के उपबन्धों के अनुसार कार्यवाही की जा सकेगी।

सीआरपीसी की धारा 349 के अनुसार

उत्तर देने या दस्तावेज पेश करने से इंकार करने वाले व्यक्ति को कारावास या उसकी सुपुर्दगी-
यदि दंड न्यायालय के समक्ष कोई साक्षी या कोई व्यक्ति, जो किसी दस्तावेज या चीज को पेश करने के लिए बुलाया गया है, उन प्रश्नों का, जो उससे किए जाएं, उत्तर देने से या अपने कब्जे या शक्ति में की किसी दस्तावेज या चीज को, जिसे पेश करने की न्यायालय उससे अपेक्षा करे, पेश करने से इंकार करता है और ऐसे इंकार के लिए कोई उचित कारण पेश करने के लिए युक्तियुक्त अवसर दिए जाने पर ऐसा नहीं करता है तो ऐसा न्यायालय उन कारणों से, जो लेखबद्ध किए जाएंगे उसे सात दिन से अनधिक की किसी अवधि के लिए सादा कारावास का दंडादेश दे सकेगा अथवा पीठासीन मजिस्ट्रेट या न्यायाधीश द्वारा हस्ताक्षरित वारंट द्वारा न्यायालय के किसी अधिकारी की अभिरक्षा के लिए सुपुर्द कर सकेगा, जब तक कि उस बीच ऐसा व्यक्ति अपनी परीक्षा की जाने और उत्तर देने के लिए या दस्तावेज या चीज पेश करने के लिए। सहमत नहीं हो जाता है और उसके इंकार पर डटे रहने की दशा में उसके बारे में धारा 345 या धारा 346 के उपबन्धों के अनुसार कार्यवाही की जा सकेगी।

Imprisonment or committal of person refusing to answer or produce document-
If any witness or person called to produce a document or thing before a Criminal Court refuses to answer such questions as are put to him or to produce any document or thing in his possession or power which the Court requires him to produce, and does not, after a reasonable opportunity has been given to him so to do, offer any reasonable excuse for such refusal, such Court may, for reasons to be recorded in writing, sentence him to simple imprisonment, or by warrant under the hand of the Presiding Magistrate or Judge commit him to the custody of an officer of the Court for any term not exceeding seven days, unless in the meantime, such person consents to be examined and to answer, or to produce the document or thing and in the event of his persisting in his refusal, he may be dealt with according to the provisions of Section 345 or Section 346.

हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 349 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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