सीआरपीसी की धारा 350 | समन के पालन में साक्षी के हाजिर न होने पर उसे दण्डित करने के लिए संक्षिप्त प्रक्रिया | CrPC Section- 350 in hindi| Summary procedure for punishment for non-attendance by a witness in obedience to summons.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 350 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 350 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 350 का विवरण

दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 350 के अन्तर्गत यदि किसी दण्ड न्यायालय के समक्ष हाजिर होने के लिए समन किए जाने पर कोई साक्षी समन के पालन में किसी निश्चित स्थान और समय पर हाजिर होने के लिए वैध रूप से आबद्ध है और न्यायसंगत कारण के बिना, उस स्थान या समय पर हाजिर होने में उपेक्षा या हाजिर होने से इंकार करता है अथवा उस स्थान से, जहां उसे हाजिर होना है, उस समय से पहले चला जाता है जिस समय चला जाना उसके लिए विधिपूर्ण है और जिस न्यायालय के समक्ष उस साक्षी को हाजिर होना है उसका समाधान हो जाता है कि न्याय के हित में यह समीचीन है कि ऐसे साक्षी का संक्षेपतः विचारण किया जाए तो वह न्यायालय उस अपराध का संज्ञान कर सकता है और अपराधी को इस बात का कारण दर्शित करने का कि क्यों न उसे इस धारा के अधीन दण्डित किया जाए अवसर देने के पश्चात् उसे एक सौ रुपए से अनधिक जुर्माने का दंडादेश दे सकता है। ऐसे प्रत्येक मामले में न्यायालय उस प्रक्रिया का यथासाध्य अनुसरण करेगा जो संक्षिप्त विचारणों के लिए विहित है।

सीआरपीसी की धारा 350 के अनुसार

समन के पालन में साक्षी के हाजिर न होने पर उसे दण्डित करने के लिए संक्षिप्त प्रक्रिया-
(1) यदि किसी दण्ड न्यायालय के समक्ष हाजिर होने के लिए समन किए जाने पर कोई साक्षी समन के पालन में किसी निश्चित स्थान और समय पर हाजिर होने के लिए वैध रूप से आबद्ध है और न्यायसंगत कारण के बिना, उस स्थान या समय पर हाजिर होने में उपेक्षा या हाजिर होने से इंकार करता है अथवा उस स्थान से, जहां उसे हाजिर होना है, उस समय से पहले चला जाता है जिस समय चला जाना उसके लिए विधिपूर्ण है और जिस न्यायालय के समक्ष उस साक्षी को हाजिर होना है उसका समाधान हो जाता है कि न्याय के हित में यह समीचीन है कि ऐसे साक्षी का संक्षेपतः विचारण किया जाए तो वह न्यायालय उस अपराध का संज्ञान कर सकता है और अपराधी को इस बात का कारण दर्शित करने का कि क्यों न उसे इस धारा के अधीन दण्डित किया जाए अवसर देने के पश्चात् उसे एक सौ रुपए से अनधिक जुर्माने का दंडादेश दे सकता है।
(2) ऐसे प्रत्येक मामले में न्यायालय उस प्रक्रिया का यथासाध्य अनुसरण करेगा जो संक्षिप्त विचारणों के लिए विहित है।

Summary procedure for punishment for non-attendance by a witness in obedience to summons-
(1) If any witness being summoned to appear before a Criminal Court is legally bound to appear at a certain place and time in obedience to the summons and without just excuse neglects or refuses to attend at that place or time or departs from the place where he has to attend before the time at which it is lawful for him to depart, and the Court before which the witness is to appear is satisfied that it is expedient in the interests of justice that such a witness should be tried summarily, the Court may take cognizance of the offence and after giving the offender an opportunity of showing cause why he should not be punished under this section, sentence him to fine not exceeding one hundred rupees.
(2) In every such case the Court shall follow, as nearly as may be practicable, the procedure prescribed for summary trials.

हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 350 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

 

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