सीआरपीसी की धारा 442 | अभिरक्षा से उन्मोचन | CrPC Section- 442 in hindi| Discharge from custody.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 442 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 442 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 442 का विवरण

दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 442 के अन्तर्गत जब कोई बन्धपत्र निष्पादित कर दिया जाता है। वह व्यक्ति, जिसकी हाजिरी के लिए वह निष्पादित किया गया है, छोड़ दिया जाएगा और जब वह जेल में हो तब उसकी जमानत मंजूर करने वाला न्यायालय जेल के भारसाधक अधिकारी को उसके छोड़े जाने के लिए आदेश जारी करेगा और वह अधिकारी आदेश की प्राप्ति पर उसे छोड़ देगा।

सीआरपीसी की धारा 442 के अनुसार

अभिरक्षा से उन्मोचन–

(1) ज्यों ही बन्धपत्र निष्पादित कर दिया जाता है ही वह व्यक्ति, जिसकी हाजिरी के लिए वह निष्पादित किया गया है, छोड़ दिया जाएगा और जब वह जेल में हो तब उसकी जमानत मंजूर करने वाला न्यायालय जेल के भारसाधक अधिकारी को उसके छोड़े जाने के लिए आदेश जारी करेगा और वह अधिकारी आदेश की प्राप्ति पर उसे छोड़ देगा।
(2) इस धारा की या धारा 436 या धारा 437 की कोई भी बात किसी ऐसे व्यक्ति के छोड़े जाने की अपेक्षा करने वाली न समझी जाएगी जो ऐसी बात के लिए निरुद्ध किए जाने का भागी है जो उस बात से भिन्न है जिसके बारे में बन्धपत्र निष्पादित किया गया है।

Discharge from custody-
(1) As soon as the bond has been executed, the person for whose appearance it has been executed shall be released; and, when he is in jail, the Court admitting him to bail shall issue an order or release to the officer in charge of the jail, and such officer on receipt of the orders shall release him.
(2) Nothing in this section, Section 436 or Section 437 shall be deemed to require the release of any person liable to be detained for some matter other than that in respect of which the bond was executed.

हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 442 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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