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सीआरपीसी की धारा 444 | प्रतिभुओं का उन्मोचन | CrPC Section- 444 in hindi| Discharge of sureties.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 444 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 444 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 444 का विवरण

दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 444 के अन्तर्गत जमानत पर छोड़े गए व्यक्ति की हाजिरी और उपस्थिति के लिए प्रतिभुओं में से सब या कोई बन्धपत्र के या तो पूर्णतया या वहां तक, जहां तक वह आवेदकों से सम्बन्धित हैं, प्रभावोन्मुक्त किए जाने के लिए किसी समय मजिस्ट्रेट से आवेदन कर सकते हैं। ऐसा आवेदन किए जाने पर मजिस्ट्रेट यह निदेश देते हुए गिरफ्तारी का वारंट जारी करेगा कि ऐसे छोड़े गए व्यक्ति को उसके समक्ष लाया जाए। वारंट के अनुसरण में ऐसे व्यक्ति के हाजिर होने पर या उसके स्वेच्छया अभ्यर्पण करने पर, मजिस्ट्रेट बन्धपत्र के या तो पूर्णतया या, वहां तक, जहां तक कि वह आवेदकों से सम्बन्धित है, प्रभावोन्मुक्त किए जाने का निदेश देगा और ऐसे व्यक्ति से अपेक्षा करेगा कि वह अन्य पर्याप्त प्रतिभू दे और यदि वह ऐसा करने में असफल रहता है तो उसे जेल सुपुर्द कर सकता है।

सीआरपीसी की धारा 444 के अनुसार

प्रतिभुओं का उन्मोचन-

(1) जमानत पर छोड़े गए व्यक्ति की हाजिरी और उपस्थिति के लिए प्रतिभुओं में से सब या कोई बन्धपत्र के या तो पूर्णतया या वहां तक, जहां तक वह आवेदकों से सम्बन्धित हैं, प्रभावोन्मुक्त किए जाने के लिए किसी समय मजिस्ट्रेट से आवेदन कर सकते हैं।
(2) ऐसा आवेदन किए जाने पर मजिस्ट्रेट यह निदेश देते हुए गिरफ्तारी का वारंट जारी करेगा कि ऐसे छोड़े गए व्यक्ति को उसके समक्ष लाया जाए।
(3) वारंट के अनुसरण में ऐसे व्यक्ति के हाजिर होने पर या उसके स्वेच्छया अभ्यर्पण करने पर, मजिस्ट्रेट बन्धपत्र के या तो पूर्णतया या, वहां तक, जहां तक कि वह आवेदकों से सम्बन्धित है, प्रभावोन्मुक्त किए जाने का निदेश देगा और ऐसे व्यक्ति से अपेक्षा करेगा कि वह अन्य पर्याप्त प्रतिभू दे और यदि वह ऐसा करने में असफल रहता है तो उसे जेल सुपुर्द कर सकता है।

Discharge of sureties-
(1) All or any sureties for the attendance and appearance of a person released on bail may at any time apply to a Magistrate to discharge the bond, either wholly or so far as relates to the applicants.
(2) On such application being made, the Magistrate shall issue his warrant of arrest directing that the person so released be brought before him.
(3) On the appearance of such person pursuant to the warrant, or on his voluntary surrender, the Magistrate shall direct the bond to be discharged either wholly or so far as relates to the applicants, and shall call upon such person to find other sufficient sureties, and, if he fails to do so, may commit him to jail.

हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 444 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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