नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 446 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 446 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 446 का विवरण
दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 446 के अन्तर्गत जहां इस संहिता के अधीन कोई बन्धपत्र किसी न्यायालय के समक्ष हाजिर होने या सम्पत्ति पेश करने के लिए है और उस न्यायालय या किसी ऐसे न्यायालय को, जिसे तत्पश्चात् मामला अन्तरित किया गया है, समाधानप्रद रूप में यह साबित कर दिया जाता है कि बन्धपत्र समपहृत हो चुका है, अथवा जहां इस संहिता के अधीन किसी अन्य बन्धपत्र की बाबत उस न्यायालय को, जिसके द्वारा बन्धपत्र लिया गया था, या ऐसे किसी न्यायालय को, जिसे तत्पश्चात् मामला अंतरित किया गया है, या प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट के किसी न्यायालय को, समाधानप्रद रूप में यह साबित कर दिया जाता है कि बन्धपत्र समपहृत हो चुका है।
सीआरपीसी की धारा 446 के अनुसार
प्रक्रिया, जब बंधपत्र समपहृत कर लिया जाता है—
(1) जहां इस संहिता के अधीन कोई बन्धपत्र किसी न्यायालय के समक्ष हाजिर होने या सम्पत्ति पेश करने के लिए है और उस न्यायालय या किसी ऐसे न्यायालय को, जिसे तत्पश्चात् मामला अन्तरित किया गया है, समाधानप्रद रूप में यह साबित कर दिया जाता है कि बन्धपत्र समपहृत हो चुका है,
अथवा जहां इस संहिता के अधीन किसी अन्य बन्धपत्र की बाबत उस न्यायालय को, जिसके द्वारा बन्धपत्र लिया गया था, या ऐसे किसी न्यायालय को, जिसे तत्पश्चात् मामला अंतरित किया गया है, या प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट के किसी न्यायालय को, समाधानप्रद रूप में यह साबित कर दिया जाता है कि बन्धपत्र समपहृत हो चुका है,
वहां न्यायालय ऐसे सबूत के आधारों को अभिलिखित करेगा और ऐसे बन्धपत्र से आबद्ध किसी व्यक्ति से अपेक्षा कर सकेगा कि वह उसकी शास्ति दे या कारण दर्शित करे कि वह क्यों नहीं दी जानी चाहिए।
स्पष्टीकरण- न्यायालय के समक्ष हाजिर होने या सम्पत्ति पेश करने के लिए बन्धपत्र की किसी शर्त का यह अर्थ लगाया जाएगा कि उसके अंतर्गत ऐसे न्यायालय के समक्ष, जिसको तत्पश्चात् मामला अन्तरित किया जाता है, यथास्थिति, हाजिर होने या सम्पत्ति पेश करने की शर्त भी है।
Procedure when bond has been forfeited-
(1) Where a bond under this Code is for appearance, or for production of property, before a Court and it is proved to the satisfaction of that Court, or of any Court to which the case has subsequently been transferred, that the bond has been forfeited.
or where, in respect of any other bond under this Code, it is proved to the satisfaction of the Court by which the bond was taken, or of any Court to which the case has subsequently been transferred, or of the Court of any Magistrate of the first class, that the bond has been forfeited,
the Court shall record the grounds of such proof, and may call upon any person bound by such bond to pay the penalty thereof or to show cause why it should not be paid.
हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 446 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।