नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 92 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 92 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 92 का विवरण
दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) में धारा 92 के अन्तर्गत यदि किसी जिला मजिस्ट्रेट, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सेशन न्यायालय या उच्च न्यायालय की राय में किसी डाक या तार प्राधिकारी की अभिरक्षा की कोई दस्तावेज, पार्सल या चीज, जो जांच, विचारण या अन्य कार्यवाही के प्रयोजन के लिए करना चाहिये, तो वह मजिस्ट्रेट या न्यायालय, यथास्थिति, डाक या तार प्राधिकारी से यह अपेक्षा कर सकता है कि उस दस्तावेज, पार्सल या चीज का परिदान उस व्यक्ति को, जिसका वह मजिस्ट्रेट या न्यायालय निर्देश दे, कर दिया जाए। तो वह धारा 92 के अंतर्गत उस न्यायालय के अधिकारी अथवा पुलिस अधिकारी द्वारा उस व्यक्ति को साक्ष्य, दस्तावेज अथवा कोई वस्तु नियत तिथि को प्रस्तुत करने को बतलाती है साथ ही अन्य मजिस्ट्रेट की, चाहे वह कार्यपालक हो या न्यायिक, या किसी पुलिस आयुक्त या जिला पुलिस अधीक्षक की राय में ऐसी कोई दस्तावेज, पार्सल या चीज ऐसे किसी प्रयोजन के लिए चाहिए तो वह, यथास्थिति, डाक या तार प्राधिकारी से अपेक्षा कर सकता है
जब न्यायालय अथवा पुलिस अधिकारी द्वारा किसी मामले में जांच के समय यदि , तो न्यायालय की राय में किसी डाक या तार प्राधिकारी की अभिरक्षा की कोई दस्तावेज, पार्सल या चीज इस संहिता के अधीन किसी अन्वेषण, जांच, विचारण या अन्य कार्यवाही के लिये तत्पर हो सकते है तो CrPC की धारा 92 के अंतर्गत न्यायालय अथवा पुलिस अधिकारी, दस्तावेज या अन्य चीज पेश करने के उद्देश्य से पत्रों और तारों के माध्यम से सूचित कर सकती है।
सीआरपीसी की धारा 92 के अनुसार
पत्रों और तारों के सम्बन्ध में प्रक्रिया-
(1) यदि किसी जिला मजिस्ट्रेट, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सेशन न्यायालय या उच्च न्यायालय की राय में किसी डाक या तार प्राधिकारी की अभिरक्षा की कोई दस्तावेज, पार्सल या चीज इस संहिता के अधीन किसी अन्वेषण, जांच, विचारण या अन्य कार्यवाही के प्रयोजन के लिए चाहिए तो वह मजिस्ट्रेट या न्यायालय, यथास्थिति, डाक या तार प्राधिकारी से यह अपेक्षा कर सकता है कि उस दस्तावेज, पार्सल या चीज का परिदान उस व्यक्ति को, जिसका वह मजिस्ट्रेट या न्यायालय निर्देश दे, कर दिया जाए।
(2) यदि किसी अन्य मजिस्ट्रेट की, चाहे वह कार्यपालक हो या न्यायिक, या किसी पुलिस आयुक्त या जिला पुलिस अधीक्षक की राय में ऐसी कोई दस्तावेज, पार्सल या चीज ऐसे किसी प्रयोजन के लिए चाहिए तो वह, यथास्थिति, डाक या तार प्राधिकारी से अपेक्षा कर सकता है कि वह ऐसी दस्तावेज, पार्सल या चीज के लिए तलाशी कराए और उसे उपधारा (1) के अधीन जिला मजिस्ट्रेट, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, या न्यायालय के आदेशों के मिलने तक निरुद्ध रखे।
Procedure as to letters and telegrams-
(1) If any document, parcel or thing in the custody of a postal or telegraph authority is, in the opinion of the District Magistrate, Chief Judicial Magistrate, Court of Session or High Court wanted for the purpose of any investigation, inquiry, trial or other proceeding under this Code, such Magistrate or Court may require the postal or telegraph authority, as the case may be. to deliver the document, parcel or thing to such person as the Magistrate or Court directs.
(2) If any such document, parcel or thing is, in the opinion of any other Magistrate, whether Executive or Judicial, or of any Commissioner of Police or District Superintendent of Police, wanted for any such purpose, he may require the postal or telegraph authority, as the case may be, to cause search to be made for and to detain such document, parcel or thing pending the order of a District Magistrate, Chief Judicial Magistrate or Court under sub-section (1).
हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 92 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।