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दहेज प्रतिषेध अधिनियम की धारा 3 | दहेज देने या दहेज लेने के लिए शास्ति | Dowry Prohibition Act, Section- 3 in in hindi | Penalty for giving or taking dowry.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दहेज प्रतिषेध अधिनियम की धारा 3 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दहेज प्रतिषेध की धारा- 3, साथ ही इस धारा के अंतर्गत क्या परिभाषित किया गया है और इस धारा के अन्तर्गत क्या सजा एवंम् अर्थदण्ड का प्रावधान रखा गया है, यह सभी जानकारी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

दहेज प्रतिषेध अधिनियम की धारा- 3 का विवरण

दहेज प्रतिषेध अधिनियम (Dowry Prohibition Act) की धारा -3 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। इस धारा के अन्तर्गत अधिनियम के प्रारंभ के पश्चात्‌, दहेज देगा या लेगा अथवा दहेज देना या लेना दुष्प्रेरित करेगा, तो वह कारावास से जिसकी अवधि पांच वर्ष से कम की नही होगी, और जुर्माने से जो पंद्रह हजार रूपये या दहेज के मूल्य की रकम तक का अधिक भी हो सकता है, दण्डित किया जायेगा।

दहेज प्रतिषेध अधिनियम की धारा- 3 के अनुसार

दहेज देने या दहेज लेने के लिए शास्ति –

(1) यदि कोई व्यक्ति, इस अधिनियम के प्रारंभ के पश्चात्‌, दहेज देगा या लेगा अथवा दहेज देना या लेना दुष्प्रेरित करेगा [तो वह कारावास से, जिसकी अवधि [पांच वर्ष से कम की नहीं होगी, और जुर्माने से, जो पन्द्रह हजार रुपए से या ऐसे दहेज के मूल्य की रकम तक का, इनमें से जो भी अधिक हो, कम नहीं होगा] दण्डनीय होगा :
परन्तु न्यायालय, ऐसे पर्याप्त और विशेष कारणों से जो निर्णय में लेखबद्ध किए जाएंगे, [पांच वर्ष] से कम की किसी अवधि के कारावास का दण्डादेश अधिरोपित कर सकेगा।
(2) उपधारा (1) की कोई बात, –
(क) ऐसी भेंटों को, जो वधू को विवाह के समय (उस निमित्त कोई मांग किए बिना) दी जाती है या उनके संबंध में लागू नहीं होंगी :
परन्तु यह तब जब कि ऐसी भेंटें इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों के अनुसार रखी गई सूची में दर्ज की जाती हैं ;
(ख) ऐसी भेंटों को जो वर को विवाह के समय (उस निमित्त कोई मांग किए बिना) दी जाती हैं या उनके संबंध में लागू नहीं होगी :
परन्तु यह तब जब कि ऐसी भेंटें, इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों के अनुसार रखी गई सूची में दर्ज की जाती है :
परन्तु यह और जहां ऐसी भेंटें जो वधू द्वारा या उसकी ओर से या किसी व्यक्ति द्वारा जो वधू का नातेदार है दी जाती है वहां ऐसी भेंटें रूढ़िगत प्रकृति की हैं और उनका मूल्य, ऐसे व्यक्ति की वित्तीय प्रास्थिति को ध्यान में रखते हुए, जिसके द्वारा या जिसकी ओर से ऐसी भेंटें दी गई हैं अधिक नहीं हैं।

Penalty for giving or taking dowry—
(1) If any person, after the commencement of this Act, gives or takes or abets the giving or taking of dowry, he shall be punishable [with imprisonment for a term which shall not be less than [five years, and with fine which shall not be less than fifteen thousand rupees or the amount of the value of such dowry, whichever is more]:
Provided that the Court may, for adequate and special reasons to be recorded in the judgment, impose a sentence of imprisonment for a term of less than [five years].
(2) Nothing in sub-section (1) shall apply to, or in relation to,—
(a) presents which are given at the time of a marriage to the bride (without any demand having been made in that behalf):
Provided that such presents are entered in a list maintained in accordance with the rules made under this Act;
(b) presents which are given at the time of a marriage to the bridegroom (without any demand having been made in that behalf):
Provided that such presents are entered in a list maintained in accordance with the rules made under this Act:
Provided further that where such presents are made by or on behalf of the bride or any person related to the bride, such presents are of a customary nature and the value thereof is not excessive having regard to the financial status of the person by whom, or on whose behalf, such presents are
given.

नोट- यह धारा कोई ऐसी भेंटों को, जो वधू को विवाह के समय (उस निमित्त कोई मांग किए बिना) दी जाती है या उनके संबंध में लागू नहीं होगा।

सजा एवंम् अर्थदण्ड (Punishment and Penalty)

यदि कोई व्यक्ति, इस अधिनियम के प्रारंभ के पश्चात्‌, दहेज देगा या लेगा अथवा दहेज देना या लेना दुष्प्रेरित करेगा, तो वह कारावास से जिसकी अवधि पांच वर्ष से कम की नही होगी, और जुर्माने से जो पंद्रह हजार रूपये या दहेज के मूल्य की रकम तक का अधिक भी हो सकता है, दण्डित किया जायेगा।

हमारा प्रयास दहेज प्रतिषेध अधिनियम (Dowry Prohibition Act) की धारा 3 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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