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वित्तीय वर्ष 2017-18 एवंम् 2018-2019 के लिये जीएसटी आर-2ए मिलान के लिये नयी गाइडलाइन जारी

GST (ITC Updation): GSTR-2A के मिलान हेतु कमिंयों और विसंगतियों को ध्यान मे रखते हुये वित्तीय वर्ष 2017-18 एवंम् 2018-19 के लिये नयी गाइडलाइन परिपत्र सं0 183 दिनांक 27 दिसम्बर 2022 जारी किया है परिपत्र के अनुसार जीएसटी करदाताओ को आईटीसी का मिलान जीएसटीआर-2 मे इनवायस न दिखाये जाने पर राहत दी है, कहा है कि किसी पंजीकृत करदाता व्दारा भूलवश जीएसटीआर-1 के B2B कॉलम मे नही भरा गया है या किसी अन्य कॉलम मे भर दिया गया है, लेकिन नियमाुसार उस सप्लाई पर समय से कर का भुगतान किया गया है, तो भी प्राप्तकर्ता को उस इनवायस का लाभ मिलेगा। इसके अलावा जारी परिपत्र के अनुसार सीजीएसटी एक्ट मे इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) प्राप्त करने के लिये पात्रता एवंम् शर्तो का प्रावधान किया गया है, जो निम्नप्रकार है-

GSTR-2A will not be effective for the year 2017-18 and 2018-19 in GST-

01- जहां जीएसटी करदाता कर अवधि के लिए फॉर्म जीएसटीआर-1 दाखिल करने में विफल रहा है, लेकिन उक्त  अवधि के लिए फॉर्म जीएसटीआर-3बी में समस्त बिलों पर कर का भुगतान किया है, जिसके कारण उक्त अवधि में की गई आपूर्ति प्राप्तकर्ताओ को फॉर्म जीएसटीआर-2A में नहीं दिखायी देती है।
02- जहां जीएसटी करदाता कर अवधि के लिए फॉर्म जीएसटीआर-1 के साथ-साथ फॉर्म जीएसटीआर-3बी में रिटर्न दाखिल किया है, लेकिन फॉर्म जीएसटीआर-1 में कुछ इनवायसो को दर्ज करने में विफल रहा है, जिसके कारण उक्त आपूर्ति प्राप्तकर्ताओ को फॉर्म जीएसटीआर-2A में नही दिखायी देती हैैै।
03- जहां जीएसटी करदाता ने टैक्स अवधि के लिए फॉर्म जीएसटीआर-1 के साथ-साथ फॉर्म जीएसटीआर-3बी में रिटर्न दाखिल किया है, लेकिन उसने फॉर्म जीएसटीआर-1 में प्राप्तकर्ता के गलत जीएसटीआईएन के साथ दिखाया गया है।
04- जहां कोई सप्लाई पंजीकृत करदाता को की गई थी और प्राप्तकर्ता के GSTIN वाले CGST नियमों के नियम 46 के अनुसार चालान जारी किया गया था, लेकिन करदाता ने अपने फॉर्म GSTR-1 में, B2B आपूर्ति के बजाय B2C आपूर्ति के रूप में उक्त आपूर्ति की गलत सूचना दी है, जिस पर कथित आपूर्ति उक्त पंजीकृत व्यक्ति के फॉर्म जीएसटीआर-2ए में नहीं दिखायी देे रही है।

जीएसटी मे रिर्टन भरते समय किसी पंजीकृत करदाता व्दारा किसी सप्लाई को भूलवश गलत कॉलम मे भर दिया गया है, B2B के कॉलम के स्थान पर B2C कॉलम मे भर दिया गया है अथवा गलत जीएसटीएन मे भर दिया है , जिसके फलस्वरूप उपरोक्त सप्लाई प्राप्तकर्ता के जीएसटीआर-2A मे नही दिखायी दे रहा है। इस अन्तर के सम्बन्ध मे वित्तीय वर्ष 2017-18 एवंम् 2018-19 मे सीजीएसटी सीबीआईसी व्दारा एक परिपत्र जारी किया, जिसमे उपरोक्त कारणों के आधार पर किसी पंजीकृत करदाता को इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का लाभ दिया जाना होगा। वित्तीय वर्ष 2017-18 एवंम् 2018-19 के लिये जीएसटीआर-2A का मिलान जरूरी नही होगा।

यह अंतर के कारण पंजीकृत करदाताओ को कर निर्धारण अधिकारी व्दारा पुनः कर जमा कराये जाने की मांग को लेकर CBIC ने यह बदलाव वित्तीय वर्ष 2017-18 एवंम् 2018-2019 मे किया है, लेकिन अंतर का कारण पंजीकृत करदाता को यह प्रमाणित करना आवश्यक होगा कि सप्लायर व्दारा उपरोक्त इनवायसों पर नियमानुसार कर का भुगतान किया गया है, तभी लाभ दिया जा सकेगा।

GSTR-2A के अनुसार उपलब्ध ITC केंद्रीय माल और सेवा कर नियम, 2017 के नियम 36(4) के तहत प्रदान किया गया था, इसके बाद “CGST नियम” के रूप में संदर्भित) केवल 9 अक्टूबर 2019 से प्रभावी था। हालाँकि, ITC की उपलब्धता अधीन थी 1 जुलाई, 2017 से ही सीजीएसटी अधिनियम की धारा 16 में निर्दिष्ट प्रतिबंधों और शर्तों के लिए। इसे देखते हुए विभिन्न पंजीकृत करदाताओ द्वारा फॉर्म जीएसटीआर-3बी में प्राप्त आईटीसी की राशि और उनके फॉर्म जीएसटीआर में उपलब्ध राशि के बीच इस तरह की विसंगतियों से निपटने के तरीके के बारे में स्पष्टीकरण की मांग करते हुए व्यापार के साथ-साथ कर अधिकारियों से अभ्यावेदन प्राप्त हुए हैं। जिसमे वित्तीय वर्ष 2017-18 और 2018-19 के दौरान 2A प्रभावी नही माना गया है।

करनिर्धारण अधिकारी पहले पंजीकृत करदाता से उन सभी चालानों के बारे में विवरण मांगेगा जिन पर पंजीकृत करदाता ने अपने फॉर्म GSTR 3B में ITC का लाभ उठाया है, लेकिन जो उनके फॉर्म GSTR 2A में नहीं दिख रहे हैं। उसके बाद वह उक्त पंजीकृत व्यक्ति द्वारा ऐसे चालानों पर प्राप्त इनपुट टैक्स क्रेडिट के संबंध में सीजीएसटी अधिनियम की धारा 16 की निम्नलिखित शर्तों की पूर्ति सुनिश्चित करने के पश्चात् ही प्राप्तकर्ता को लाभ मिल सकेगा।

  • सप्लाई के सम्ब्ध मे इनवायस की कॉपी/डेबिट क्रेडिट नोट अथवा कर भुगतान किये गये चालान की कॉपी।
  • सप्लाई एवंम् सर्विस दोनो के लिये मान्य होंगे।
  • सप्लाई एवंम् सर्विस के मामले मे प्राप्तहुये माल एवंम् सर्विस सम्बन्धी भुगतान के दस्तावेज, इनवायस एवंम् बिल्टी की कॉपी जैसे दस्तावेज कर अधिकारी मांग सकते है।
  • इसके 5 लाख से अधिक सप्लाई के लिये चार्टेड एकाउन्टेट का प्रमाणपत्र संलग्न करना होगा और 5 लाख के अन्दर की सप्लाई मे सप्लायर व्दारा प्रमाणपत्र संलग्न करना होगा।

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