Restitution of Conjugal Rights (दाम्पत्य अधिकारों का पुनः स्थापन)
हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा-9 के अन्तर्गत जब पति अथवा पत्नी अपने आपको दूसरे के साहचर्य से उचित कारण के बिना अलग कर लिया हो, तब व्यथित पक्षकार दाम्पत्य अधिकारों के पुनः स्थापन के लिये जिला न्यायालय मे आवेदन, अर्जी व्दारा कर सकेंगा और न्यायालय उस अर्जी मे दिये गये कथन की सत्यता जानने के बारे अथवा आवेदन को मंजूर करने का कोई वैध आधार नही है । इस बात से संतुष्ट हो जाने के पश्चात् दाम्पत्य अधिकारो का पुनः स्थापन डिक्री व्दारा करा सकेगा ।
(1) क्या पति या पत्नी ने बिना युक्तियुक्तकरण के अपने पति या पत्नी के सहवास से पृथक किया है ।
(2) क्या याचिका में कहे गए कथन सत्य है:
(3) डिक्री अस्वीकार करने के लिए अन्य कोई वैधानिक आधार तो नहीं है।
- यदि अलग रहने के लिए उपयुक्त कारण एवं आधार है तो डिक्री प्रदान नहीं की जाएगी।
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