भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 198 | Indian Contract Act Section 198

भारतीय संविदा अधिनियम Indian Contract Act (ICA Section-198) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 198 के अनुसार कोई भी विधिमान्य अनुसमर्थन ऐसे व्यक्ति द्वारा नहीं किया जा सकता जिसका मामलों के तथ्यों का ज्ञान तत्त्वतः त्रुटियुक्त हो, जिसे IC Act Section-198 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 198 (Indian Contract Act Section-198) का विवरण

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 198 IC Act Section-198 के अनुसार कोई भी विधिमान्य अनुसमर्थन ऐसे व्यक्ति द्वारा नहीं किया जा सकता जिसका मामलों के तथ्यों का ज्ञान तत्त्वतः त्रुटियुक्त हो।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 198 (IC Act Section-198 in Hindi)

 विधिमान्य अनुसमर्थन के लिए ज्ञान अपेक्षित है-

कोई भी विधिमान्य अनुसमर्थन ऐसे व्यक्ति द्वारा नहीं किया जा सकता जिसका मामलों के तथ्यों का ज्ञान तत्त्वतः त्रुटियुक्त हो।

Indian Contract Act Section-198 (IC Act Section-198 in English)

Knowledge requisite for valid ratification-

No valid ratification can be made by a person whose knowledge of the facts of the case is materially defective.

हमारा प्रयास भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act Section) की धारा 198 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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