भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 200 | Indian Contract Act Section 200

भारतीय संविदा अधिनियम Indian Contract Act (ICA Section-200) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 200 के अनुसार एक व्यक्ति द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति की ओर से ऐसे दूसरे व्यक्ति के प्राधिकर के बिना किया गया कोई ऐसा कार्य, जो यदि प्राधिकार से किया जाता तो किसी पर- व्यक्ति को नुकसानी के अध्यधीन करने या किसी पर-व्यक्ति के किसी अधिकार या हित का पर्यवसान करने का प्रभाव रखता, अनुसमर्थन के द्वारा ऐसा प्रभाव रखने वाला नहीं बनाया जा सकता, जिसे IC Act Section-200 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 200 (Indian Contract Act Section-200) का विवरण

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 200 IC Act Section-200 के अनुसार एक व्यक्ति द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति की ओर से ऐसे दूसरे व्यक्ति के प्राधिकर के बिना किया गया कोई ऐसा कार्य, जो यदि प्राधिकार से किया जाता तो किसी पर-व्यक्ति को नुकसानी के अध्यधीन करने या किसी पर-व्यक्ति के किसी अधिकार या हित का पर्यवसान करने का प्रभाव रखता, अनुसमर्थन के द्वारा ऐसा प्रभाव रखने वाला नहीं बनाया जा सकता।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 200 (IC Act Section-200 in Hindi)

अप्राधिकृत कार्य का अनुसमर्थन पर-व्यक्ति को क्षति नहीं पहुंचा सकता–

एक व्यक्ति द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति की ओर से ऐसे दूसरे व्यक्ति के प्राधिकर के बिना किया गया कोई ऐसा कार्य, जो यदि प्राधिकार से किया जाता तो किसी पर-व्यक्ति को नुकसानी के अध्यधीन करने या किसी पर-व्यक्ति के किसी अधिकार या हित का पर्यवसान करने का प्रभाव रखता, अनुसमर्थन के द्वारा ऐसा प्रभाव रखने वाला नहीं बनाया जा सकता।
दृष्टांत
(क) ख द्वारा तदर्थ प्राधिकृत किए गए बिना ख की ओर से ग से क यह मांग करता है कि ख की कोई जंगम वस्तु, जोग के कब्जे में है ग परिदत्त कर दे। वह मांग ख द्वारा ऐसे अनुसमर्थित नहीं की जा सकती कि ग परिदान से अपने इन्कार के लिए नुकसानी का दायी हो जाए।
(ख) तीन मास की सूचना पर पर्यवसेय एक पट्टा ख से क धारण करता है। एक अप्राधिकृत व्यक्ति ग पट्टे के पर्यवसान की सूचना क को देता है । यह सूचना ख द्वारा ऐसे अनुसमर्थित नहीं की जा सकती कि वह क पर आबद्धकर हो जाए।

Indian Contract Act Section-200 (IC Act Section-200 in English)

Ratification of unauthorized act cannot injure third person-

An act done by one person on behalf of another, without such other person‟s authority, which, if done with authority, would have the effect of subjecting a third person to damages, or of terminating any right or interest of a third person, cannot, by ratification, be made to have such effect.
Illustrations
(a) A, not being authorized thereto by B, demands, on behalf of B, the delivery of a chattel, the property of B, from C, who is in possession of it. This demand cannot be ratified by B, so as to make C liable for damages for his refusal to deliver.
(b) A holds a lease from B, terminable on three months‟ notice. C, an unauthorized person, gives notice of termination to A. The notice cannot be ratified by B, so as to be binding on A.

हमारा प्रयास भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act Section) की धारा 200 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

Leave a Comment