भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 202 | Indian Contract Act Section 202

भारतीय संविदा अधिनियम Indian Contract Act (ICA Section-202) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 202 के अनुसार जहां कि उस सम्पत्ति में, जो अभिकरण की विषयवस्तु हो, अभिकर्ता का कोई हित हो वहां अभिव्यक्त संविदा के अभाव में अभिकरण का पर्यवसान ऐसे नहीं किया जा सकता कि उस हित पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े, जिसे IC Act Section-202 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 202 (Indian Contract Act Section-202) का विवरण

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 202 IC Act Section-202 के अनुसार अभिकरण का पर्यवसान मालिक द्वारा अपने प्राधिकार के प्रतिसंहरण से, अथवा अभिकर्ता द्वारा अभिकरण के कारबार के त्यजन से, अथवा अभिकरण के कारबार के पूरे हो जाने से, अथवा मालिक के या अभिकर्ता के मर जाने या विकृतचित्त हो जाने से; अथवा मालिक किसी ऐसे तत्समय प्रवृत्त अधिनियम के उपबन्धों के अधीन, जो दिवालिया ऋणियों के अनुतोष के लिए हो दिवालिया न्यायनिर्णीत किए जाने से हो जाता है।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 202 (IC Act Section-202 in Hindi)

जहां कि अभिकर्ता का विषयवस्तु में कोई हित हो वहां अभिकरण का पर्यवसान-

जहां कि उस सम्पत्ति में, जो अभिकरण की विषयवस्तु हो, अभिकर्ता का कोई हित हो वहां अभिव्यक्त संविदा के अभाव में अभिकरण का पर्यवसान ऐसे नहीं किया जा सकता कि उस हित पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े।
दृष्टांत
(क) ख को क यह प्राधिकार देता है कि वह क की भूमि बेच दे और उस विक्रय के आगमों में से उन ऋणों का संदाय कर ले जो उसे क द्वारा शोध्य है । क इस प्राधिकार का प्रतिसंहरण नहीं कर सकता और न क की उन्मत्तता या मृत्यु से उस प्राधिकार का पर्यवसान हो सकता है।
(ख) क रुई की 1,000 गांठे ख को, जिसने उसे ऐसी रुई पर अग्रिम धन दिया है. परेषित करता है और ख से बांछा करता है कि ख उस रुई को बेचे और उसकी कीमत में से अपने अग्रिम धन की रकम का प्रतिसंदाय कर ले। क इस प्राधिकार का प्रतिसंहरण नहीं कर सकता है और न उसकी उन्मत्तता या मृत्यु से उस प्राधिकार का पर्यवसान होता है।

Indian Contract Act Section-202 (IC Act Section-202 in English)

Termination of agency where agent has an interest in subject-matter-

Where the agent has himself an interest in the property which forms the subject-matter of the agency, the agency cannot, in the absence of an express contract, be terminated to the prejudice of such interest.
Illustrations
(a) A gives authority to B to sell A‟s land, and to pay himself, out of the proceeds, the debts due to him from A. A cannot revoke this authority, nor can it be terminated by his insanity or death.
(b) A consigns 1,000 bales of cotton to B, who has made advances to him on such cotton, and desires B to sell the cotton, and to repay himself out of the price, the amount of his own advances. A cannot revoke this authority, nor is it terminated by his insanity or death.

हमारा प्रयास भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act Section) की धारा 202 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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