भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 203 | Indian Contract Act Section 203

भारतीय संविदा अधिनियम Indian Contract Act (ICA Section-203) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 203 के अनुसार पूर्वगामी अंतिम धारा द्वारा अन्यथा उपबंधित दशा को छोड़कर, मालिक अपने अभिकर्ता को दिए गए प्राधिकार का प्रतिसंहरण उसके ऐसे उपयोग किए जाने से पूर्व कि मालिक आबद्ध हो जाए किसी भी समय कर सकेगा, जिसे IC Act Section-203 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 203 (Indian Contract Act Section-203) का विवरण

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 203 IC Act Section-203 के अनुसार पूर्वगामी अंतिम धारा द्वारा अन्यथा उपबंधित दशा को छोड़कर, मालिक अपने अभिकर्ता को दिए गए प्राधिकार का प्रतिसंहरण उसके ऐसे उपयोग किए जाने से पूर्व कि मालिक आबद्ध हो जाए किसी भी समय कर सकेगा।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 203 (IC Act Section-203 in Hindi)

मालिक अभिकर्ता के प्राधिकार का प्रतिसंहरण कब कर सकेगा-

पूर्वगामी अंतिम धारा द्वारा अन्यथा उपबंधित दशा को छोड़कर, मालिक अपने अभिकर्ता को दिए गए प्राधिकार का प्रतिसंहरण उसके ऐसे उपयोग किए जाने से पूर्व कि मालिक आबद्ध हो जाए किसी भी समय कर सकेगा।

Indian Contract Act Section-203 (IC Act Section-203 in English)

When principal may revoke agent’s authority-

The principal may, save as is otherwise provided by the last preceding section, revoke the authority given to his agent at any time before the authority has been exercised so as to bind the principal.

हमारा प्रयास भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act Section) की धारा 203 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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