भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 207 | Indian Contract Act Section 207

भारतीय संविदा अधिनियम Indian Contract Act (ICA Section-207) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 207 के अनुसार जहां कि यह अभिव्यक्त या विवक्षित संविदा हो कि अभिकरण को किसी कालावधि के लिए चालू रहना है वहां पर्याप्त कारण के बिना अभिकरण के किसी पूर्वतन प्रतिसंहरण या त्यजन का प्रतिकर, यथास्थिति, अभिकर्ता को मालिक या मलिक को अभिकर्ता देगा, जिसे IC Act Section-207 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 207 (Indian Contract Act Section-207) का विवरण

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 207 IC Act Section-207 के अनुसार जहां कि यह अभिव्यक्त या विवक्षित संविदा हो कि अभिकरण को किसी कालावधि के लिए चालू रहना है वहां पर्याप्त कारण के बिना अभिकरण के किसी पूर्वतन प्रतिसंहरण या त्यजन का प्रतिकर, यथास्थिति, अभिकर्ता को मालिक या मलिक को अभिकर्ता देगा।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 207 (IC Act Section-207 in Hindi)

प्रतिसंहरण और त्यजन अभिव्यक्त या विवक्षित हो सकेगा–

प्रतिसंहरण और त्यजन अभिव्यक्त हो सकेगा अथवा मालिक या अभिकर्ता के अपने-अपने आचरण द्वारा विविक्षत हो सकेगा।
दृष्टांत
क अपना गृह भाड़े पर देने के लिए ख को सशक्त करता है। तत्पश्चात् क स्वयं उसे भाड़े पर दे देता है। यह ख के प्राधिकार का विवक्षित प्रतिसंहरण है।

Indian Contract Act Section-207 (IC Act Section-207 in English)

Revocation and renunciation may be expressed or implied-

Revocation and renunciation may be expressed or may be implied in the conduct of the principal or agent respectively.
Illustration
A empowers B to let A‟s house. Afterwards A lets it himself. This is an implied revocation of B‟s authority.

हमारा प्रयास भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act Section) की धारा 207 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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