भारतीय संविदा अधिनियम Indian Contract Act (ICA Section-219) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 219 के अनुसार किसी विशेष संविदा के अभाव में, किसी कार्य के पालन के लिए संदाय अभिकर्ता को तब तक शोध्य नहीं होता जब तक वह कार्य पूरा न हो जाए, किन्तु अभिकर्ता बेचे गए माल के लेखे उसे प्राप्त धनराशियों को प्रतिधत कर सकेगा यद्यपि विक्रय के लिए उसे परेषित माल सारे का सारा बेचा न जा सका हो, या विक्रय वस्तुतः पूर्ण न हुआ हो, जिसे IC Act Section-219 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।
HIGHLIGHTS
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 219 (Indian Contract Act Section-219) का विवरण
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 219 IC Act Section-219 के अनुसार यदि कोई अभिकर्ता अपने मालिक के ज्ञान के बिना अभिकरण के कारबार में अपने मालिक के लेखे व्यवहार करने के बजाय अपने ही लेखे व्यवहार करता है तो मालिक अभिकर्ता से उस फायदे का दावा करने का हकदार है जो अभिकर्ता को उस संव्यवहार से हुआ है।
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 219 (IC Act Section-219 in Hindi)
अभिकर्ता का पारिश्रमिक कब शोध्य हो जाता है-
किसी विशेष संविदा के अभाव में, किसी कार्य के पालन के लिए संदाय अभिकर्ता को तब तक शोध्य नहीं होता जब तक वह कार्य पूरा न हो जाए, किन्तु अभिकर्ता बेचे गए माल के लेखे उसे प्राप्त धनराशियों को प्रतिधत कर सकेगा यद्यपि विक्रय के लिए उसे परेषित माल सारे का सारा बेचा न जा सका हो, या विक्रय वस्तुतः पूर्ण न हुआ हो।
Indian Contract Act Section-219 (IC Act Section-219 in English)
When agent’s remuneration becomes due-
In the absence of any special contract, payment for the performance of any act is not due to the agent until the completion of such act; but an agent may detain moneys received by him on account of goods sold, although the whole of the goods consigned to him for sale may not have been sold, or although the sale may not be actually complete.
हमारा प्रयास भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act Section) की धारा 219 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।