भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 222 | Indian Contract Act Section 222

भारतीय संविदा अधिनियम Indian Contract Act (ICA Section-222) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 222 के अनुसार तत्प्रतिकूल संविदा के अभाव में अभिकर्ता को यह हक है कि उसे प्राप्त मालिक का माल, कागज-पत्र और अन्य सम्पत्ति, चाहे वह जंगम हो या स्थावर, तब तक प्रतिधारित किए रहे जब तक उसे तत्संबंधी कमीशन, संवितरणों और सेवाओं की बाबत शोध्य रकम दे न दी जाए या उसका लेखा समझा न दिया जाए, जिसे IC Act Section-222 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 222 (Indian Contract Act Section-222) का विवरण

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 222 IC Act Section-222 के अनुसार तत्प्रतिकूल संविदा के अभाव में अभिकर्ता को यह हक है कि उसे प्राप्त मालिक का माल, कागज-पत्र और अन्य सम्पत्ति, चाहे वह जंगम हो या स्थावर, तब तक प्रतिधारित किए रहे जब तक उसे तत्संबंधी कमीशन, संवितरणों और सेवाओं की बाबत शोध्य रकम दे न दी जाए या उसका लेखा समझा न दिया जाए।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 222 (IC Act Section-222 in Hindi)

विधिपूर्ण कार्यों के परिणामों के लिए अभिकर्ता की क्षतिपूर्ण की जाएगी-

अभिकर्ता का नियोजक उन सब विधिपूर्ण कार्यों के परिणामों के लिए अभिकर्ता की क्षतिपूर्ति करने के लिए आबद्ध है जो उस अभिकर्ता ने उसे प्रदत्त प्राधिकार के प्रयोग में किए हों।
दृष्टांत
(क) कलकत्ते के क के अनुदेशों के अधीन ग को कुछ माल परिदान करने के लिए ग से ख सिगांपुर में संविदा करता है । ख को कमाल नहीं भेजता और ग संविदा भंग के लिए ख पर वाद लाता है। क को ख वाद की इत्तिला देता है और क उसे बाद में प्रतिरक्षा करने के लिए प्राधिकृत करता है । ख वाद में प्रतिरक्षा करता है और नुकसानी तथा खर्च देने के लिए विवश किया जाता है और वह व्यय उपगत करता है। क ऐसी नुकसानी, खर्चों और व्ययों के लिए ख के प्रति दायी है।
(ख) कलकत्ते का एक दलाल ख वहाँ के एक वणिक क के आदेशों के अनुसार ग से क के लिए दस पीपे तेल खरीदने की संविदा करता है। तत्पश्चात् क वह तेल लेने से इन्कार कर देता है और ख पर ग वाद लाता है। क को ख इत्तिला देता है। क संविदा का पूर्णतः निराकरण कर देता है । ख प्रतिरक्षा करता है किन्तु असफल रहता है और उसे नुकसानी और खर्चे देने पड़ते हैं और व्यय उठाने पड़ते हैं। क ऐसी नुकसानी, खर्चों और व्ययों के लिए ख के प्रति दायी है।

Indian Contract Act Section-222 (IC Act Section-222 in English)

Agent to be indemnified against consequences of lawful acts-

The employer of an agent is bound to indemnify him against the consequences of all lawful acts done by such agent in exercise of the authority conferred upon him.
Illustrations
(a) B, at Singapur, under instructions from A of Calcutta, contracts with C to deliver certain goods to him. A does not send the goods to B, and C sues B for breach of contract. B informs A of the suit, and A authorizes him to defend the suit. B defends the suit, and is compelled to pay damages and costs, and incurs expenses. A is liable to B for such damages, costs and expenses.
(b) B, a broker at Calcutta, by the orders of A, a merchant there, contracts with C for the purchase of 10 casks of oil for A. Afterwards A refuses to receive the oil, and C sues B. B informs A, who repudiates the contract altogether. B defends, but unsuccessfully, and has to pay damages and costs and incurs expenses. A is liable to B for such damages, costs and expenses.

हमारा प्रयास भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act Section) की धारा 222 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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