भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 221 | Indian Contract Act Section 221

भारतीय संविदा अधिनियम Indian Contract Act (ICA Section-221) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 221 के अनुसार तत्प्रतिकूल संविदा के अभाव में अभिकर्ता को यह हक है कि उसे प्राप्त मालिक का माल, कागज-पत्र और अन्य सम्पत्ति, चाहे वह जंगम हो या स्थावर, तब तक प्रतिधारित किए रहे जब तक उसे तत्संबंधी कमीशन, संवितरणों और सेवाओं की बाबत शोध्य रकम दे न दी जाए या उसका लेखा समझा न दिया जाए, जिसे IC Act Section-221 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 221 (Indian Contract Act Section-221) का विवरण

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 221 IC Act Section-221 के अनुसार तत्प्रतिकूल संविदा के अभाव में अभिकर्ता को यह हक है कि उसे प्राप्त मालिक का माल, कागज-पत्र और अन्य सम्पत्ति, चाहे वह जंगम हो या स्थावर, तब तक प्रतिधारित किए रहे जब तक उसे तत्संबंधी कमीशन, संवितरणों और सेवाओं की बाबत शोध्य रकम दे न दी जाए या उसका लेखा समझा न दिया जाए।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 221 (IC Act Section-221 in Hindi)

मालिक की सम्पत्ति पर अभिकर्ता का धारणाधिकार-

तत्प्रतिकूल संविदा के अभाव में अभिकर्ता को यह हक है कि उसे प्राप्त मालिक का माल, कागज-पत्र और अन्य सम्पत्ति, चाहे वह जंगम हो या स्थावर, तब तक प्रतिधारित किए रहे जब तक उसे तत्संबंधी कमीशन, संवितरणों और सेवाओं की बाबत शोध्य रकम दे न दी जाए या उसका लेखा समझा न दिया जाए।

Indian Contract Act Section-221 (IC Act Section-221 in English)

Agent’s lien on principal’s propertya-

In the absence of any contract to the contrary, an agent is entitled to retain goods, papers and other property, whether movable or immovable of the principal received by him, until the amount due to himself for commission, disbursements and services in respect of the same has been paid or accounted for to him.

हमारा प्रयास भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act Section) की धारा 221 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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