भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 223 | Indian Contract Act Section 223

भारतीय संविदा अधिनियम Indian Contract Act (ICA Section-223) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 223 के अनुसार जहां कि एक व्यक्ति किसी दूसरे को कोई कार्य करने के लिए नियोजित करता है और वह अभिकर्ता उस कार्य को सद्भाव से करता है वहां वह नियोजक उस कार्य के परिमणामों के लिए अभिकर्ता की क्षतिपूर्ति करने का दायी है यद्यपि वह कार्य पर-व्यक्तियों के अधिकारों को क्षति करता हो, जिसे IC Act Section-223 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 223 (Indian Contract Act Section-223) का विवरण

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 223 IC Act Section-223 के अनुसार जहां कि एक व्यक्ति किसी दूसरे को कोई कार्य करने के लिए नियोजित करता है और वह अभिकर्ता उस कार्य को सद्भाव से करता है वहां वह नियोजक उस कार्य के परिमणामों के लिए अभिकर्ता की क्षतिपूर्ति करने का दायी है यद्यपि वह कार्य पर-व्यक्तियों के अधिकारों को क्षति करता हो।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 223 (IC Act Section-223 in Hindi)

सद्भाव से किए गए कार्यों के परिणामों के लिए अभिकर्ता की क्षतिपूर्ति की जाएगी–

जहां कि एक व्यक्ति किसी दूसरे को कोई कार्य करने के लिए नियोजित करता है और वह अभिकर्ता उस कार्य को सद्भाव से करता है वहां वह नियोजक उस कार्य के परिमणामों के लिए अभिकर्ता की क्षतिपूर्ति करने का दायी है यद्यपि वह कार्य पर-व्यक्तियों के अधिकारों को क्षति करता हो।
दृष्टांत
(क) क, एक डिक्रीदार, जो ख के माल के विरुद्ध उस डिक्री का निष्पादन कराने का हकदार है, कुछ माल को ख का माल व्यपदिष्ट करके न्यायालय के आफिसर से अपेक्षा करता है कि वह उस माल को अभिगृहीत कर ले । आफिसर उस माल का अभिग्रहण करता है और उस पर माल के वास्तविक स्वामी ग द्वारा वाद लाया जाता है। क उस राशि के लिए उस आफिसर की क्षतिपूर्ति करने का दायी है जिसे वह क के निदेशों के पालन के परिणामस्वरूप ग को देने के लिए विवश किया जाता है।
(ख) क की प्रार्थना पर ख उस माल को बेचता है जो क के कब्जे में तो है किन्तु जिसके ब्ययन का क को कोई अधिकार नहीं था। ख यह बात नहीं जानता और विक्रय के आगम क को दे देता है। तत्पश्चात् ख पर उस माल का वास्तविक स्वामी ग वाद लाता है और माल का मूल्य और खर्चा वसूल कर लेता है । ग को जो कुछ देने के लिए ख विवश किया गया है उसकी और ख के अपने व्ययों की क्षतिपूर्ति करने के लिए ख के प्रति क दायी है।

Indian Contract Act Section-223 (IC Act Section-223 in English)

Agent to be indemnified against consequences of acts done in good faith-

Where one person employs another to do an act, and the agent does the act in good faith, the employer is liable to indemnify the agent against the consequences of that act, though it cause an injury to the rights of third persons.
Illustrations
(a) A, a decree-holder and entitled to execution of B‟s goods, requires the officer of the Court to seize certain goods, representing them to be the goods of B. The officer seizes the goods, and is sued by C, the true owner of the goods. A is liable to indemnify the officer for the sum which he is compelled to pay to C, in consequence of obeying A‟s directions.
(b) B, at the request of A, sells goods in the possession of A, but which A had no right to dispose of, B does not know this, and hands over the proceeds of the sale to A. Afterwards C, the true owner of the goods, sues B and recovers the value of the goods and costs. A is liable to indemnify B for what he has been compelled to pay to C, and for B‟s own expenses.

हमारा प्रयास भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act Section) की धारा 223 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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