भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 229 | Indian Contract Act Section 229

भारतीय संविदा अधिनियम Indian Contract Act (ICA Section-229) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 229 के अनुसार अभिकर्ता को दी गई किसी सूचना या उसके द्वारा अभिप्राप्त किसी जानकारी का, जहाँ तक कि मालिक और पर-व्यक्तियों का संबंध है, वहीं विधिक परिणाम होगा मानो वह मालिक को दी गई या उसके द्वारा अभिप्राप्त की गई हो, परन्तु यह तब जब कि वह अभिकर्ता द्वारा मालिक के लिए संव्यवहृत कारबार के अनुक्रम में दी या अभिप्राप्त की गई हो, जिसे IC Act Section-229 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 229 (Indian Contract Act Section-229) का विवरण

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 229 IC Act Section-229 के अनुसार अभिकर्ता को दी गई किसी सूचना या उसके द्वारा अभिप्राप्त किसी जानकारी का, जहाँ तक कि मालिक और पर-व्यक्तियों का संबंध है, वहीं विधिक परिणाम होगा मानो वह मालिक को दी गई या उसके द्वारा अभिप्राप्त की गई हो, परन्तु यह तब जब कि वह अभिकर्ता द्वारा मालिक के लिए संव्यवहृत कारबार के अनुक्रम में दी या अभिप्राप्त की गई हो।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 229 (IC Act Section-229 in Hindi)

अभिकर्ता को दी गई सूचना के परिणाम–

अभिकर्ता को दी गई किसी सूचना या उसके द्वारा अभिप्राप्त किसी जानकारी का, जहाँ तक कि मालिक और पर-व्यक्तियों का संबंध है, वहीं विधिक परिणाम होगा मानो वह मालिक को दी गई या उसके द्वारा अभिप्राप्त की गई हो, परन्तु यह तब जब कि वह अभिकर्ता द्वारा मालिक के लिए संव्यवहृत कारबार के अनुक्रम में दी या अभिप्राप्त की गई हो।
दृष्टांत
(क) ग से वह माल जिसका ग दृश्यमान स्वामी है खरीदने के लिए ख द्वारा क नियोजित किया जाता है और वह तदनुसार उसे खरीदता है। विक्रय की बातचीत के अनुक्रम में क को पता चलता है कि वह माल वास्तव में घ का है किन्तु ख को यह तथ्य ज्ञात नहीं है। ग से अपने को शोध्य एक ऋण उस माल की कीमत के विरुद्ध मुजरा करने का ख हकदार नहीं है।
(ख) ग से वह माल जिसका ग दृश्यमान स्वामी है खरीदने के लिए ख द्वारा क नियोजित किया जाता है । क इस प्रकार नियोजित होने से पूर्व ग का सेवक था और तब उसे मालूम हुआ था कि वह माल वास्तव में घ का है किन्तु ख को यह तथ्य ज्ञात नहीं है। अपने अभिकर्ता को यह ज्ञान होते हुए भी ग से अपने को शोध्य ऋण ख उस माल की कीमत के विरुद्ध मुजरा कर सकेगा।

Indian Contract Act Section-229 (IC Act Section-229 in English)

Consequences of notice given to agent-

Any notice given to or information obtained by the agent, provided it be given or obtained in the course of the business transacted by him for the principal, shall, as between the principal and third parties, have the same legal consequences as if it had been given to or obtained by the principal.
Illustrations
(a) A is employed by B to buy from C certain goods, of which C is the apparent owner, and buys them accordingly. In the course of the treaty for the sale, A learns that the goods really belonged to D, but B is ignorant of that fact. B is not entitled to set-off a debt owing to him from C against the price of the goods.
(b) A is employed by B to buy from C goods of which C is the apparent owner. A was, before he was so employed, a servant of C, and then learnt that the goods really belonged to D, but B is ignorant of that fact. In spite of the knowledge of his agent, B may set-off against the price of the goods a debt owing to him from C.

हमारा प्रयास भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act Section) की धारा 229 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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